Book Title: Kalp Vyavahar Nisheeth Mul Matra Author(s): Jinvijay Publisher: ZZZ UnknownPage 27
________________ 26] छट्ठो उद्देसओ [ 5, 21-6,1-0 कारवेत्तए / अत्यि याइ ण्हं केइ वेयावच्चकरे, कप्पइ ण्हं वेयावच्चं कारवेत्तए; नत्थि याइ ण्हं केइ वेया वच्चकरे, एव ण्हं कप्पइ अन्नमन्नेणं वेयावच्चं कारवेत्तए। 21. निग्गन्यं च णं राओ वा वियाले वा दिहपट्ठो लूसेज्जा; इत्थी वा पुरिसस्स ओमावेज्जा परिसो वा इत्थीए ओमावेज्जा / एवं से कप्पइ, एवं से चिट्ठइ, परिहारं च से न पाउणइ-एस कप्पे 5 थेरकप्पियाणं; एवं से नो कप्पइ, एवं से नो चिट्ठइ, परिहारं च नो पाउणइ-एस कप्पे जिणकप्पियाणं-ति बेमि। // ववहारस्स पञ्चमो उद्देसओ समत्तो // // छट्टो उसओ॥ 1. भिक्खू य इच्छेज्जा नाय-विहिं एतए, नो कप्पड थेरे अणापच्छित्ता नायविहिं एत्तए; क___प्पइ थेरे आपुच्छित्ता नायविहिं एत्तए। थेरा य से वियरेज्जा, एवं से कप्पइ नायविहिं एत्तए; थेरा य से 10 नो वियरेज्जा, एवं से नो कप्पइ नायविहिं एत्तए / तत्य थेरेहिं अविइण्णे नायविहिं एइ, से सन्तरा छेए वा पहिरे वा / नो से कप्पइ अप्पसुयस्स अप्पागमस्स एगाणियरस नायविहिं एतए; कप्पड़ से जे तत्थ बहुस्सुए बब्भागमे तेण सद्धिं नायविहिं एत्तए / तस्स तत्थ पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते चाउलोदणे कप्पइ पडिगाहेसए; से जे तत्थ पुव्वागमणेणं पच्छाउसे चाउलोदणे, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए। 2. आयरियउज्झायस्स गणंसि पञ्च अइसेसा पन्नता, तं जहा-आयरियउवज्झाए अन्तो 15 उवस्सयस पाए निगिज्झिय निगिज्झिय पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा नो अइक्कमइ; आयरियउज्झाए अन्तो उवस्सयस्स उच्चारपासवणं विगिञ्चमाणे वा विसोहेमाणे वा नो अइक्कमइ, आयरियउवाझाए पभू देयावडिय इच्छा करेज्जा इच्छा नो करेज्जा, आयरियउवज्झाए अन्तो उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइक्कमइ; आयरियउवज्झाए बाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो अइक्कभइ / 3. गणावच्छे यस्स णं गणसि दो अइसेसा पन्नता, तं जहा--गणावच्छेइए अन्तो उवग्सयरस 20 एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे नो भइक्कमइ; गणावच्छेइए. बाहिं उपायास एगरायं का दुरायं वा वसमाणे नो अइक्कमइ / 4. से गामंसि वा....( जहा 1, 34 )....रायहाणिसि वा एगदगडाए एगदुवाराए एगनिक्खमणपवेसाए नो कप्पइ बहूणं अगडसुयाणं एगयओ क्त्थए / अस्थि याइ प्हं केइ आयारपकप्पधरे, नत्थि याइ ण्हं केइ छेए वा परिहारे वा; नात्थ याइ ण्हं केइ आयारकप्पधरे, से सन्तरा 28छेए वा परिहारे वा। 5. से गामंसि वा (जहा१,३४)रायहाणिसि वा अभिनिव्वगडाए अभिनिदुवाराए अभिनिवखाणपवेमणाए नो कप्पइ बहणं वि अगडसुयाणं एगयओ / वत्थए अस्थि याइ प्हं केइ.आयारपकप्पधरे, जेPage Navigation
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