Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 24
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 441
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२६ कैलास श्रुतसागर ग्रंथ सूची ८९. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. १००आ-१०१अ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: हम नि किसी के कोई न हमारा; अंति: द्यानत मै चेतन पदमांही, गाथा-४. ९०. पे. नाम, आदिजिन पद, पृ. १०१अ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: भम्यौ जीवम्यौं संसार; अंति: चरण कमल चितलायौ जी, गाथा-४. ९१. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०१अ-१०१आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: जिय को लोभ महादुख दाई; अंति: द्यानत जिन कै लोभ विशेषा, गाथा-४. ९२. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०१आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पहिं., पद्य, आदि: रे मन भजि दीनदयाल जाकै; अंति: द्यानत छांडि विषै विकराल, गाथा-४. ९३. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०१आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: तुम प्रभु कहत दीनदयाल आप; अंति: द्यानत० हमकौं लेहु निकाल, गाथा-४. ९४. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १०१आ-१०२अ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: मै नेमजी का वंदा साहिबजी; अंति: द्यानत और बात सधंदा धंदा, गाथा-४. ९५. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०२अ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: मैं निज आतम कब ध्याउंगा; अंति: द्यानत० बहूर जग मैं आउंगा, गाथा-४. ९६. पे. नाम, नेमराजिमती पद, पृ. १०२अ, संपूर्ण. नेमराजिमति पद, जै.क. द्यानतराय, पुहि., पद्य, आदि: वंदौ नेम उदासी मद मारिवे; अंति: पंकज रमत रमत अघनासी, गाथा-४. ९७. पे. नाम, औपदेशिक पद, पृ. १०२अ-१०२आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहि., पद्य, आदि: आतम अनुभौ कीजे हो भाई; अंति: द्यानत० दक्ष कहीजै हो भाई, गाथा-४. ९८. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०२आ, संपूर्ण. __ औपदेशिक पद-जीव, जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: अरहंत सुमरि मन वावरे; अंति: द्यानत० फेर न कछु उपाव रे, गाथा-४. ९९. पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ.१०२आ, संपूर्ण. औपदेशिक पद-रागदोष, जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: कर रे कर रे कर रे आतम; अंति: यही है द्यानत लख भवतर रे, गाथा-४. १००.पे. नाम. औपदेशिक पद, पृ. १०२आ-१०३अ, संपूर्ण. आध्यात्मिक पद, जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: आतम अनुभौ करना रे भाई; अंति: द्यानत० पार उतारना रे भाई, गाथा-४. १०१. पे. नाम. आध्यात्मिक पद, पृ. १०३अ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: धन ते साध रहे वनमांही; अंति: पावै शिव सुख न सांही, गाथा-४. १०२. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. १०३अ-१०३आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: अब हम आतम कौं पहचान्यौ; अंति: द्यानत० जनम सफल करमान्यौ, गाथा-४. १०३. पे. नाम. पार्श्वजिन पद, पृ.१०३आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहि., पद्य, आदि: हमको प्रभु श्रीपास सहाय; अंति: द्यानत० फेर न कछु उपाय, गाथा-४. १०४. पे. नाम. नेमराजिमति पद, पृ. १०३आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहिं., पद्य, आदि: ज्ञानी ज्ञानी नेमजी तुमहौ; अंति: जगत मैं हम गरीब प्राणी, गाथा-४. १०५. पे. नाम. नेमिजिन पद, पृ. १०३आ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहि., पद्य, आदि: देख्या मैंने नेमजी प्यारा; अंति: द्यानत भगति तुमारा, गाथा-४. १०६. पे. नाम, आध्यात्मिक पद, पृ. १०३आ-१०४अ, संपूर्ण. जै.क. द्यानतराय, पुहि., पद्य, आदि: आतम रूप अनूप है घटमांहि; अंति: निज स्वारथ काजै हो, गाथा-४. For Private and Personal Use Only

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