Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 24
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ (४) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति के भाष्य की अवचूर्णि#, सं., गद्य, मूपू., (इह हि० आवश्यकनियुक्ति), १०४८४९(+$) (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की लघुटीका#, आ. तिलकाचार्य, सं., वि. १२९६, गद्य, मूपू., (--), १०५७४३(+#$) (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति की शिष्यहिता टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, सं., ग्रं. २२०००, गद्य, मपू., (प्रणिपत्य जिनवरेंद्र),
१०४२२४(+), १०६२५५(+$) (३) आवश्यकसूत्र-नियुक्ति का हिस्सा सामायिकअध्ययन नियुक्ति, आ. भद्रबाहुस्वामी, प्रा., पद्य, मूपू., (आभिणिबोहियनाणं
सुयना), प्रतहीन. (४) विशेषावश्यकभाष्य, आ. जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण, प्रा., अध्य. प्रथम, गा. ३६०३, पद्य, मूपू., (कयपवयणप्पणामो वोच्छं),
१०३२९७(+) (२) आवश्यकसूत्र-भाष्य, प्रा., पद्य, मपू., (जह गणहरेहिं भणियं), १०३७५४ (२) आवश्यकसूत्र-चूर्णि#, ग. जिनदास महत्तर, प्रा.,सं., अध्य. ६, ग्रं. १८०००, गद्य, मूपू., (नमो अरहंताणं०० आवस्स),
१०३२९५(#), १०३७०६(#s) (२) आवश्यकसूत्र-दीपिका टीका#, आ. माणिक्यशेखरसूरि, सं., ग्रं. ११७१०, वि. १४०१, गद्य, मूप., (नत्वा श्रीवीरजिनं०),
१०३७८३(+#) (२) आवश्यकसूत्र-लघुवृत्ति#, आ. तिलकाचार्य, सं., ग्रं. १२३२५, वि. १२९६, गद्य, मूपू., (देवः श्रीनाभिसूनुर्जनयतु), १०३४९१(६),
१०४२३८(६) (२) आवश्यकसूत्र-शिष्यहिता टीका#, आ. हरिभद्रसूरि, सं., ग्रं. २२०००, गद्य, मप., (प्रणिपत्य जिनवरेंद्र), प्रतहीन. (३) आवश्यकसूत्र-शिष्यहिता टीका का टिप्पणक, आ. हेमचंद्रसूरि मलधारि, सं., ग्रं. ४६००, गद्य, म्पू., (जगत्त्रयमतिक्रम्य),
१०२५२०(#) (४) आवश्यकसूत्र-शिष्यहिता टीका के टिप्पणक की वचनिका, मा.गु., गद्य, मूपू., (हवे ४५ आगम प्रभुजीइ), १०५९६१-५ (२) आवश्यकसूत्र-बालावबोध , मा.गु., गद्य, मूपू., (नमो अ० इत्यादि एहनो), १०१४०३(+#) (२) आवश्यकसूत्र-टबार्थ*, मा.गु., गद्य, मूपू., (नमो० नमस्कार होवउ), १०१०२५(+#$), १०१६७५-१(+$) (२) आवश्यकसूत्र-हिस्सा आयंबिल पच्चक्खाण, प्रा., गद्य, मपू., (उग्गए सूरे नमुकारसी), १०२७२६-२ (२) आवश्यकसूत्र-हिस्सा एकासणा-बेआसणानुं पच्चक्खाण, प्रा., गद्य, मूपू., (उग्गए सूरे नमुक्कार), १०२८४३-३(+) (२) आवश्यकसूत्र-हिस्सा तिविहार उपवास पच्चक्खाण, गु.,प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (सूरे उग्गए उपवास कर्यो), १०२८४३-२(+),
१०६४१९(#) (२) आवश्यकसूत्र-हिस्सा पच्चक्खाण पारणक गाथा, प्रा., गा. २, पद्य, मूपू., (फासियं पालियं चेव), १०६३२१-४ (२) आवश्यकसूत्र-हिस्सा प्रत्याख्यानादि ४४ आगार, प्रा.,सं., गद्य, मूपू., (१अन्नत्थणाभोगेणं २सहसा), १०४२४४-२(+) (३) आवश्यकसूत्र-प्रत्याख्यानादि ४४ आगार की व्याख्या, सं., गद्य, भूपू., (अनाभोत्यंतविस्मृतिः), १०४२४४-२(+) (२) चैत्यवंदनसूत्र, हिस्सा, प्रा.,सं., प+ग., मपू., (नमो अरिहंताणं नमो), प्रतहीन. (३) चैत्यवंदनसूत्र-विधि, संबद्ध, प्रा.,मा.गु.,सं., प+ग., मूपू., (इछामि खमासमणो कही), १०५०७७-१०(+$) (४) चैत्यवंदनसूत्र विधि-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (सोधर्मेद्र श्रीभगवंतने), १०५०७७-१०(+$) (२) जयवीयरायसूत्र, हिस्सा, प्रा., गा. ५, पद्य, मूपू., (जय वीयराय जगगुरु होउ), १०१५९१-२(2) (२) लोगस्ससूत्र, हिस्सा, प्रा., गा. ७, पद्य, मूपू., (लोगस्स उज्जोअगरे), १०२९०४(#) (३) लोगस्ससूत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, स्पू., (चउद राजलोकमांहि), १०२९०४(#) (२) शक्रस्तव, हिस्सा, प्रा., गा. १०, पद्य, मूपू., (नमुत्थुणं अरिहंताणं), १०१६७५-२(+) (२) सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र, हिस्सा, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (सकल कुशलवल्ली पुष्करावर्त), १०५३५४-२(+),
१०६११७(+) (३) सकलकशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र-टीका, सं., पद्य, मप., (यस्माकं क० तुमारे), १०६११७(+) (३) सकलकुशलवल्लि चैत्यवंदनसूत्र-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (सकल कहेता समक्ष कुसल), १०६११७(+) (२) १९ कायोत्सर्ग दोष विचार, संबद्ध, मा.गु., गद्य, मूपू., (घोडानी परि एकई पगि), १०१९०७-४
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