Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 8
________________ ज्यौतिषप्रश्नफलगणना किसी का उस समय चर लग्न हो, स्थिर में सूर्य-चन्द्रमा हो तो सहय नहीं कहना पद-पद में विग्रह कहना ॥ ३ ॥ चरलग्ने स्थिरे सूर्ये चरभावे शशी यदा । तदा लाभो धनं धान्यं वृद्धिभावश्च दृश्यते ॥ ४ ॥ और प्रश्न समय का लग्न चर हो और स्थिर में सूर्य हो और चर राशि के जो चन्द्रमा हो तो लाभ धन, धान्य की वृद्धि कहना ॥ ४ ॥ चरलग्ने द्विस्वभे सूर्ये चरे वा चन्द्र एव च । महदुःखं महाभयम् ॥ ५ ॥ बन्धनं च महाक्लेशो प्रश्न काल में लग्न घर हो और द्विस्वभाव जो मिथुन- कन्या आदि उसमें सूर्य हो और चन्द्रमा चर राशि का हो तो बन्धन महाक्लेश-दुःख-भय कहना ॥५॥ चरलग्ने द्विस्वभे सूर्ये द्विस्वभावेषु चन्द्रमाः । बन्धनं द्रव्यनाशं च चित्तमुद्वेगकारकम् ॥ ६ ॥ जो प्रश्न लग्नचर हो और द्विस्वभाव मे सूर्य हो और चन्द्रमा भी हिस्वभाव का होतो तो बन्धन : व्य का नाश चित्त में उद्वेग करे || ६ || WWW Com मध्यमं तं विजानीयात् फलसिद्धिर्न दृश्यते ॥ ७ ॥ प्रश्न का लग्न चर हो और स्थिर मे सूर्य हो और द्विस्वभाव में चन्द्रमा हो तो मध्यम फल कहना - कार्य की सिद्धि न करेंगे ॥ ७ ॥ चरलग्ने द्विस्वभे सूर्ये स्थिरराशी गतः शशी । मध्यमं च विजानीयात् फलसिद्धिर्न दृश्यते ॥ ८ ॥ जो प्रश्न लग्न चर हो और द्विस्वभाव में सूर्य हो और चन्द्रमा स्थिर राशि में हो तो भी मध्यम फल कहना - फल की सिद्धि न करेंगे ॥ ८ ॥ चरलग्ने चरे सूर्ये द्विस्वभावेषु चन्द्रमाः । क्षेमं सौख्यप्रसिद्धिश्व पुत्रवृद्धिर्धनागमः ॥ ९॥ प्रश्न लग्न चर हो और चर राशि में सूर्य स्थित हो और द्विस्वभाव में चन्द्रमा वर्तमान हो तो क्षेम सुख की सिद्धि, पुत्र की वृद्धि - धनागम करेंगे ॥ ९ ॥ १० ॥ स्थिर लग्ने द्विस्वभावे शशी सूर्यो यदा भवेत् । जयप्राप्ति समाप्नोति सिद्धिः सौख्यं शुभं भवेत् ॥ प्रश्न लग्न स्थिर हो और द्विस्वभाव में चन्द्रमा प्राप्त हो और सूर्य भी द्विस्वभाव में हो तो जय की प्राप्ति और सम्यक् प्राप्ति हो -- सब कार्य की सिद्धि सुख और कल्याण की प्राप्ति हो ।। १० ।। http://www.Apni Hindi.com

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