Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 43
________________ 'विमला' ब्याख्योपेता (५९) ज, ज, अ-सूनो पृच्छक ! तुम अर्थ की चिन्ता करते हो, उसका फल तुम शीघ्र ही पाओगे, पहिले तो तुम अधिक उद्यम किये थे परन्तु अब जो उद्यम करोगे तो सब कार्य सिद्ध होगा। (६० ) ज, द, अ-सुनो पृच्छक ! जो तुम चिन्ता करते हो सो कार्य विपरीत है यदि आगम चाहते हो तो, इष्टदेवता की पूजा करो, कार्य सफल होगा। (६१) ज, व, ब-सुनो पृच्छक ! यह कार्य भला नहीं, दीपक के समान है। जब तक तेल भरा रहता है, तब तक जलता है, और जब वन का प्रचण्ड पवन लग जाय तो बुझ जाता है, इस प्रकार तेरा कार्य है-विश्वास किसी पर मत करना, उद्यम करते रहना, कार्य सफल होगा। (६२) ज, अ, ज-सुनो पृच्छक ! यह कार्य तेरा कठिन है, बिना कष्ट के न होगा, तेरे शत्रु कार्य को बिगाड़ते हैं, उनका विश्वास न करना, अन्त में भला होगा। (६३ ) ज, व, अ-सुनो पृच्छक ! जो तू सोचते हो, उसका क्षण में बनाव और क्षण में बिगाड़ दीख पड़ता है, कार्य को हुआ कहते हो, परन्तु होता नहीं, कुछ प्रयोग बिना यह काम सिद्ध न होगा, इससे कुछ गायत्रो का जपहोम,स्तोत्र पाठ करो, तब इसकी सिद्धि होगी। (६४) ज, अ, अ-सुनो पृच्छक ! यह कार्य कठिन है । इति प्रश्न-फल-गणना समाप्त । http://www.Apnihindi.com

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