Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 23
________________ अथ चतुर्थं प्रकरणम् अथ ध्वजादिसर्वोपयोगि-प्रश्नफलम् आयचक्रम सू । मं शुबु, बृ : श चं रा! इति वर्गग्रहाः अ क ट त प य श इति वर्गवर्णाः ग . मा । स स्वा नाम मृ । मे इति वर्गदेवता ध्वज धूस ह । श्वान दय " गज ध्वाक्ष , आयाष्टध्वजादयः | १ । २.३ . ४ ... ५. ६ ... - भूत-भावे-वर्तमानप्रश्नज्ञानं ज्योतिष्कृतम् ।। WWWध्यप्रउनममं गन्यं चमत्कतिकरं परम ॥ COLLL _उच्चारितफलनामाद्यक्षरवशतो ज्ञात्वा अकारादिवर्गः कोष्टानि पूरयित्वा ध्वजादयोऽष्टायाः कल्पनीयाः । ते यथा ध्वजो धूम्रश्च सिंहश्च श्वानो वृषखरौ गजः । ध्वांक्षस्त्वायाष्टकं जेयं शुभाशुभमिदं स्फुटम् ॥ २॥ यह जो आय नामक प्रश्न ग्रन्थ है, मो बहुत चमत्कार करने वाला और भूत अर्थात् हुआ, भावी अर्यात होने वाला, वर्तमान जो कि बीत रहा है। ऐसे प्रश्नों का ज्ञान जिससे होता है ? जो प्रश्नकर्ता मुख से वर्ण उच्चारण करे या 'किसी फल का नाम ग्रहण कराये। पहले अक्षर से अकारादिक जो आठ वर्ग है उन कोष्ठों की पूर्ति करे और उन वर्गों पर से ध्वजादिक जो आठ आय हैं उनकी भी कल्पना करे, इसका मतलब यह है कि अकारादिक वर्गों में जो वर्ण पहिले उच्चारित हुआ है उसको प्रथम कोष्ठ में स्थापन करे । उसी क्रम से ध्वजादिकों में जो उस वर्ग का स्वामी हो उसको आदिक्रम से स्थापन करे। इस प्रकार आय लिखते हैं, ध्वज, धूम्र, सिंह, श्वान, वृष, खर, गज, ध्वांक्ष ये आठ आय हैं, इनके द्वारा शुभ-अशुभ फल प्रत्यक्ष कहना ॥ १-२॥ http://www.Apnihindi.com

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