Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 34
________________ अथ पञ्चमं प्रकरणम् अथ प्रश्नाष्टकं, तत्र प्रथमध्रुवांकाः लाभालाभो बाहुवेदी ४२ । जीवनमरणे खवेदौ ४०। सुखदुःखे बाणवह्नौ ३५ । गमनागमने वेदाग्नी ३४ । जयपराजय बाणाग्नी ३५ । वर्षाप्रश्ने युग्माग्नी ३२ । यात्राप्रश्ने बाणाग्नी ३५ । गुपिणीप्रश्ने युग्माग्नी ३२ । इति ध्रुवांकाः । जैसे किसी ने पूछा कि हमें लाभ होगा या नहीं ? इन दोनों प्रश्नों में बाहु कहिये दो बंद नाम चार दोनों मिलाने से ४२ हुए 'अंकानाम् वामतो गतिः' इस प्रकार अंकों की वाम भाग से गणना होती है। इससे इस प्रश्न में इतने ध्रुवांक हुए । और जीने मरने के प्रश्न में ख कहिये शून्य वेद चार दोनों मिलाने से ४० इस प्रश्न में ध्रुवांक होते हैं । सुख-दुःख के प्रश्न में बाण ५ वह्नि ३ दोनों ३५, गमन और आगमन इसमें वेद चार ४ अग्नि ३ दोनों अंक मिलाने से ३४ हए, और जय-पराजय के प्रश्न में बाण ५ अग्नि ३ दोनों अंक मिलाने से ३५ हुए । वृष्टि होगी या नहीं उसके युग्म २ अग्नि ३ दोनों के योग से ३२ होते हैं, यात्रा के प्रश्न में बाणाग्नो बाण ५ अग्नि ३ अर्थात् ३५ अंक होते हैं, गर्भवती के प्रश्न में युग्माग्नी युग्म २ अग्नि ३ यानी ३२ ध्रुवांक होते हैं । __ अथाक्षरांकध्रुवाः अ २४ आ २१ इ १२ ई १८ उ २५ ऊ २२ ए १९ ऐ २९ ओ १९ औ २५ अं १० अः २२ । क २१ ख ३१ ग १० घ १८ ङ २१ च २७ छ १६ ज ३४ झ २५ ब २६ ट २१ ठ ३५ ड १३ ढ १४ ण १७ त २७ थ १३ द २६ ध १८ न १८ प २८ फ २७ ब २१ भ २६ म १६ य ४२ र ११ ल ९ व ७ श २५ ष ११ स २५ ह १२ क्ष ५ इत्यक्षरांकाः । __ इसके अनन्तर-अकारादिक स्वरों का और ककारादिक वर्णों का ध्रुवांक लिखते हैं । अकार का २४ चौबीस अंक होता है । आकार का २१ एकइस होता है । ह्रस्व इकार का १२ बारह, दीर्घ ईकार का १८ अठारह, उकार का २५ http://www.Apnihindi.com

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