Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 38
________________ ज्यौतिषप्रश्न फलगणना रविवार के दिन अर्क ( मन्दार ) को जड़ उखाड़ कर चार पहल का पासा बनावे और उसी दिन उसका व्रत करके यानी पासे का पूजन करे । उस पर पहले के क्रम मे ये चार, अ, व, ज, द अक्षर लिख दे । प्रश्नकर्त्ता 'ॐ नमो भगवति कूष्माण्डानि इत्यादि मंत्र को पढ़कर पासे को अभिमंत्रित करके भूमि पर तीन बार फेंके और जो अक्षर आवे उनका फल पुस्तक में देख कर कहे । ( १ ) अ, अ, अ - - सुनो पृच्छक ! जो काम तुम सोचते हो उस कार्य में बहुत सन्तोष होगा, मन में धीरज धरो, आपही काम सिद्ध हो जायगा, सन्देह नहीं । ૨૨ ( २ ) अ, अ, द - सुनो पृच्छक ! जो तुम सोचते हो, वह कार्य सम भाग है, बहुत सुख से शून्य कार्य है, वह सत्य हो जायगा, सन्देह नहीं । ( ३ ) अ, ज द -- सूनो पृच्छक ! जो पुत्र कार्य सोचते हो वह सब होगा, तू इसको छोड़ दे, और कार्य कर, दूसरी चिन्ता कर, उसी में लाभ होगा । ( ४ ) अ, व, द - सुनो पृच्छक ! जिनका तुम चिन्तन करते हो, वह कार्य बहुत दिनों में होगा. गायत्री देवी का ३ष्ट करो, कार्य सम भाग है परन्तु अर्थ का लाभ होगा । दगा गायत्री देवी का ट करी, कार्य (५) अ, द, व - सुनो पृच्छक ! जो तुम चिन्तन करते हो उसमें तुमको लक्ष्मी की प्राप्ति होगी, और सहज बन्धुओं से सन्तोष होगा । तुम्हारे आगे शत्रु लोग शिर नवावेगं, सन्देह की कोई बात नहीं, इसे सत्य नमझो । ( ६ ) अ, व, अ--- सुनो पृच्छक ! जो तुम सोचते हो नो कार्य कठिन है, जिससे तुम बात करते हो, वह तुम्हारा शत्रु है । अपना काम सावधानी से करो । ( ७ ) अ, व, ज - सुनो पृच्छक ! तुम को चिन्ता बहुत है, तू अकेला है, भार बहुत है, तुझ अकेले से कार्य बन जावेगा, सब शोक छोड़. कल्याण होगा, पहले तेरे साथी लोगो ने जो सलाह दी है, उसे मत मान । ( 4 ) अ, द, अ - सुनो पृच्छक ! जो तू सोचता है, वह कार्य सम भाग है, तू अर्थ लाभ चाहता है, शीघ्र कार्य सिद्ध होगा । ( ९ ) अ, अ, व -- जो तू मन में सोचते हो, उस कार्य में बहुत विलम्ब है, तू किसी की शिक्षा मत मान, केवल अपनी रक्षा करता रह | (१०) अ, द, द - सुनो पृच्छक ! जो तू सोचता है, उसमें विलम्ब बहुत है, मति ठीक नहीं है, कुबुद्धि है, इस कारण से तेरा कार्य कठिन है उसमें भला न होगा । http://www.ApniHindi.com

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