Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 40
________________ ज्योतिषप्रश्नफलगणना तुम्हारा मन बहुत चञ्चल हो रहा है, मन को शान्त करो, चिन्ता-सन्देह दूर होगा, कुछ धर्म कार्य करो । (२२ ) व, व, द-सुनो पृच्छक ! जो तू सोच करता है, उससे बन्धुओं में प्रीति होगी। (२३)व, द, द-सुनो पृच्छक ! जो तू सोचता है, उसको परमेश्वर पूरी करेगा। तेरे बन्धु-मित्र भला नहीं चाहते हैं । भगवान् का स्मरण करते रहो। ( २४ ) व, ज, द-सुनो पृच्छक ! तुम जो चित्त में सोचते हो वह अर्थ का है, धन प्राप्त होगा, कुछ अल्प कष्ट होगा, अन्त में परमेश्वर भला करेगा। ( २५ ) व, द, ज-सूनो पृच्छक ! जो तू सोचता है, उस कार्य का कुछ अंश सिद्ध होगा. सुख आनन्द बहुत प्राप्त होगा, चिन्ता मत करो। (२६ ) व, ज, अ-सुनो पृच्छक ! जो तुम सोचते हो, सो कार्य कठिन है, उसका उद्योग मत करो, करने से नहीं होगा। (२७) व, अ, व-सुनो पृच्छक ! तुम्हारे कार्य का एक शत्रु है, वह बरा शाहता है, शत्रु आप ही दूर हो जायेगा. वह कार्य पांच पंचों से मिलकर सिद्ध होगा। (२८ ) व, अ, ज-सुनो पृच्छक ! जो तू चिन्ता करते हो, उस कार्य के बहत शप हैं, किसी का विश्वास नहीं करना, कार्य अधिकता से सिद्ध नहीं होगा, और जो तू इस कार्य में हठ करेगा तो कष्ट प्राप्त होगा। (२९) व, अ, ज-सनो पृच्छक ! यह कार्य बहन कष्ट का है, लाभकारी थोड़ा है, जैसे लोहे की नाव से समुद्र तरा चाहे वैसा ही तेरा कार्य है, इसका यत्न मत करो, सिद्ध नहीं होगा। (३०) व, ब, अ-सुनो पृच्छक ! तेरे कार्य में विलम्ब है, समय पाकर होगा। जैसे जल की मछली जल बिना पल भर में हाथ आ जाती है और जल बिना मर जाती है, इसी प्रकार यह कार्य बडे प्रयत्न बोर यत्न से सिद्ध होगा, परन्तु नाश तत्काल हो जायेगा, इससे यत्न मत करो। (३१) व, अ, द-सुनो पृच्छक ! जो तू सोचते हो सो कार्य नहुन शीघ्र सिद्ध होगा, चित्त को दृढ़ करो, जानना सैर करना छोड़ दो, कार्य का विचार करो। वह सफल होगा । चिन्ता मत करो। (३२) व, ज, ज-सुनो पृच्छक ! जो तू सोचता है, वह तुरन्त सिद्ध होगा । परमेश्वर की कृपा से अर्थलाभ भी होगा, इसकी शीघ्रता करो। http://www.Apnihindi.com

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