Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

View full book text
Previous | Next

Page 26
________________ ज्यौतिषप्रश्नफलगणना अथ प्रवासि-कुशलप्रश्नः सिंहे वृषे ध्वजे चैव कुअरे कुशलप्रदः। ध्वाक्षे श्वाने खरे धूने नास्तीति कुशलं वदेत् ॥ १३॥ इसके अनन्तर प्रवासी का कुशल प्रश्न लिखते हैं, प्रश्न के समय में सिंहवृष-ध्वज-कुखर हो तो परदेशी का कुशल कहना और ध्वांक्ष-श्वान-खर-धूम्र हो तो कुशल नहीं कहना ॥ १३ ।। अथ प्रवासि-चरस्थिरप्रश्नः ध्वजे गजे स्थिरश्चैव श्वाने सिंहे च चञ्चला। वृषे धूने प्रयाणस्थं खरे ध्वाक्षे च कष्टकम् ॥ १४ ॥ तदनन्तर प्रवासी स्थिर है या चंचल है, इस प्रश्न का विचार लिखते हैंध्वज गज-प्रश्न समय में हो तो प्रवासी को उभी स्थान में 'स्थिर' कहना और श्वान-सिंह में हो तो चंचल कहना और वृप-धूम्र में प्रयाणार्थ अर्थात् चलने की तैयारी में और खर-ध्वांक्ष हो तो कष्ट कहना ॥ १४ ॥ । ..com - अथ प्रवास्यागमन प्रश्नः । ध्वजे धूने समीपस्थं दूरस्थं गजसिंहयोः । वृषे खरे च मार्गस्थं ध्वांक्षे श्वाने पुनर्गतम् ॥ १५ ॥ तदनन्तर प्रवासी के गमन प्रश्न का विचार लिखते हैं-ध्वज और धूम्र में समीप में कहना और गज-सिंह में दूर कहना और वृप, खर में कहना कि मार्ग में अर्थात् राह में और ध्वांक्ष, श्वान में हो तो कहना कि कुछ दूर आकर पुनः फिर गया ॥ १५ ॥ __ अथ प्रवास्यागमनकालनिर्णयः ध्वजे पक्षमिति प्रोक्तं धूने सप्तदिनं तथा । एकविंशश्च सिहे च श्वाने मासं तथैव च ॥ १६ ॥ वृषे तु सार्द्धमासं च खरे मासद्वयं तथा । गजे मासत्रयं प्रोक्तं ध्वाक्षे ह्ययनसम्मितम् ॥ १७ ॥ कब तक आवेंगे इसका काल नियम लिखते हैं-ध्वज आय में पक्ष १५ दिन में आने का काल कहना और धूम्र में ७ दिन और सिंह में २१ दिन कहना, श्वान में मास भर कहना ।। १६ ॥ http://www.Apnihindi.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53