Book Title: Jyotish Prashna Falganana
Author(s): Dayashankar Upadhyay
Publisher: Chaukhamba Vidyabhavan

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Page 11
________________ अथ द्वितीयं प्रकरणम् अथ केरलीप्रश्नः केरलीपञ्चचक्रम् ॐ ह्रीं श्रीं वद वद वाग्वादिनी स्वाहा ॐ सिद्धिः ॥ इति मंत्रेण त्रिवारमभिमंत्र्य पूगीफलं पृच्छकहस्ते दत्त्वा पञ्चाविति वदेत् ॥ भो पृच्छक पूगीफलं पञ्चकानां मध्ये क्षेप्यं पुनद्वितीयपञ्चके क्षिप्यताम उभयोरंकवोर्मेलने कृते यदि,११ तदा वदेत भो पृच्छक तव वांछितफलं भविष्यति न संदेहः स्थानान्तरे ततो विदेशे कार्य कृत्वा समागमिष्यसि गमने कृषिवागिज्यादिगुविणोरोगिप्रश्नादौ सिद्धिर्वाच्या ॥१॥ जिस समय प्रश्नकर्ता मनुष्य आकर प्रश्न करे उस समय एक पूर्गः फल उपर्वक्त मंत्र से अभिमंत्रण करके अर्थात् फंक के पूछने वाले के हाथ में देकर पीछे यह कहे कि इस पूगीफल को पहिले पाँच कोठों में से किसी कोठे में रखो फिर दूसरे पाँचों कोठों में भी इसी तरह रखाये अनन्तर दोनों कोठों के अंक को मिलाये अर्थात् पहिले पांचों में से जिस कोठे में सुपारी उसने धरी हो उसका अंक और दूसरी बार नीचे पांचों में से 'जस कोठे में घरी हो उम कोठे का अंक मिलाने से ग्यारह हो तो कहे कि, हे पच्छक ! तुम्हारा मनोरथ सफल होगा निःसन्देह, परन्तु दूसरे स्थान में तदनन्तर विदेश में कार्य करके आगमन होगा। गमन प्रश्न में, कृषि-वाणिज्य वगैरह गर्विणी-रोगी प्रश्नादि में ११ इस अंक के आने पर सर्वत्र सिद्धि कहना ॥१॥ याकमेलने १२ तदा देवकावं कुरु विलंबात्कार्यसिद्धिः ॥ २॥ यदि १३ तदा वदेत् तव कार्य बहवो विघ्नाः सन्ति अन्यच्चितय ॥३॥ यदि १४ तवा वदेत् त्वया यन्मनसि चिन्तितं तत्सर्व भविष्यति नात्र संदेहः सर्वत्र वृद्धिः ॥ ४॥ http://www.Apnihindi.com

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