Book Title: John Stuart Mil Jivan Charit Author(s): Nathuram Premi Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya View full book textPage 3
________________ निवेदन। पिछली बार मिलका यह जीवनचरित 'स्वाधीनता के प्रारंभमें जोड़ दिया गया था। परन्तु अबकी बार इसे पृथक् प्रकाशित करना ही उचित समझा गया। क्यों कि एक तो यह ' सीरीज ' का दूसरे नम्बरका ग्रन्थ है, इस लिए इसे पहले ग्रन्थके अन्तर्गत रखनेसे सीरीजके ग्रन्थोंकी गणनामें एककी कमी पड़ती है और इससे ग्राहकोंको भ्रम होता है, दूसरे इसके साथ रहनेसे 'स्वाधीनता ' का मूल्य और भी अधिक रखना पड़ता जो ग्राहकोंको असह्य होता। इस आवृत्तिमें साधारण संशोधनके अतिरिक्त कोई विशेष परिवर्तन नहीं किया गया है। केवल पाठकोंके सुभीतेके लिए 'टाइप' बड़ा कर दिया गया है। -प्रकाशक।Page Navigation
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