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जिनवाणी
मंगल-मूल, धर्म की जननी, शाश्वत सुखदा, कल्याणी । द्रोह, मोह, छल, मान-मर्दिनी, फिर प्रगटी यह 'जिनवाणी' ।।
परस्परोपाही जीवाम्
प्राचार्य श्री हस्ती व्यक्तित्व एवं कृतित्व
विशेषांक
प्रधान सम्पादक
डॉ. नरेन्द्र भानावत
सम्पादक डॉ. श्रीमती शान्ता भानावत
प्रकाशक
सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल बापू बाजार, जयपुर-३०२ ००३
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