Book Title: Jinmandiradi Lekh Sangraha Author(s): Sushilsuri, Ravichandravijay Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti View full book textPage 4
________________ ooooooooooooooooooooooooooooo oppo ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤â¤¤¤¤¤¤ * समर्पण * हमारे परमोपकारी बालब्रह्मचारी सुमधुर प्रवचनकार - विद्वान् उपाध्यायप्रवर श्री जिनोत्तम विजयजी गणिवर्य महाराज साहब ! जिन्होंने साढ़े नौ वर्ष की बाल्यावस्था में भागवती दीक्षा प्राप्त की और जो संयम की सुन्दर आराधना में पच्चीस वर्ष पूर्ण कर आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे पूज्य गुरुदेव के कर-कमलों में यह पुस्तिका मैं सादर - सभक्ति - सहर्ष समर्पित करता हूँ । popopp श्रापका श्रन्तिषद् मुनि रविचन्द्र विजय ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤ ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 220