Book Title: Jinendra Stuti Ratnakar
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 45
________________ ( ३७ ) प्र० ॥ २ ॥ जाग्यहीन नही देवनें, पामे तेवो तो सही ॥ मे० ॥ श्रीनमीनाथ महाराज, जिने श्वर जेवो तो सही ॥ मे० ॥ ० ॥ ३ ॥ तिण का रण मुऊ भाग्य हीनता, धोवो तो सही ॥ मे० ॥ करी निरमल निरुपम अद्भुत, सुंदर बो वो तो सही ॥ मे० ॥ प्र० ॥४॥ नीलकमलउरु बी च थापी, पत खोवो तो सही ॥ मे ॥ ए दंस तांबे ठाम तुमें, क्युं ढोवो तो सही ॥२॥ दं सबेवावी त्यांय में, यश बोलो तो सही ॥ मेणा प्रभु हितकारी महाराज, जगतना होवो तो सही ॥ मे० ॥ प्र० ॥ ६ ॥ इति ॥ ॥ विंशति श्रीनेमनाथ जिनस्तवनं ॥ ॥ राग भैरवी ॥ लागी लगन कहो केसें ब टे, प्राण जीवन प्रभु प्पारेसें ॥ ला॥ ए देश ॥ नेमी जिणंद जुहार रे प्राणी, नेमीजिणंद जुहा ररे ॥ एकणी ॥ शिवादेवी नर जन्म ली यो दे, तीन ज्ञान दिल धार रे ॥ ती० ॥ ने० ॥

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