Book Title: Jinendra Stuti Ratnakar
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 84
________________ या पुस्तकने वांचवा जलवा माटे घणी संचाल श्री वी किंवा बाजोट उपर राखीने खोलवुं वांची जी रह्यापी विनयपूर्वक फररी रुमाल प्रमुखमां बांधी स्थाने राख. कोइ पण रीतें ज्ञाननी याशा तना थाय तेम न करवुं किंबहुना सुझान्प्रतिकथितेन.

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