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यम नियम आसन अने, प्राणायाम ए चार; हठनां पगथियां चार छे, चार सहजनां धार..... अष्टापद० ३ प्रत्याहार ने धारणा, ध्यान सत्य समाधि; शुद्धात्मदर्शने प्राप्ति छे, नासे आधि उपाधि...... अष्टापद० ४ चौवीस तीर्थंकरतणी, मूर्तिओ देखे; दर्शन वंदन ध्यानथी, मोहभाव उवेखे............. अष्टापद० ५ आठ पगथियां पर चढी, परमातम जोवे; बुद्धिसागर आतमा, सिद्ध महावीर होवे........... अष्टापद० ६
आबु जिनचैत्य स्तवन आबु पर्वत रळियामणो रे लोल, जिनमंदिर जयकाररे; विमळाशाहे करावियांरे लोल, जिन प्रतिमा सुखकाररे....... आबु० १ वस्तुपाल ने तेजपालनारे लोल, मंदिरदेव विमान रे; जिनप्रतिमाने वंदतारे लोल, प्रगटे हर्ष अमानरे. ..... आबु० २ अवचलगढ जिनमंदिरोरे लोल, वंदो पूजो भव्य रे; आतम गुण प्रगटाववारे लोल, मानवभव कर्तव्यरे.... आबु० ३ जिनमंदिर बीजां भलारे लोल, दर्शनथी दुःख जायरे; ध्यान समाधि स्थिरता वेधेरे लोल, आरोग्य आनंद थायरे. ....आबु० ४
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