Book Title: Jinandji Bhav Jal Par Utar
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
आराधना विभाग
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मंगल-पाठ
चत्तारिमंगलं, अरिहंता मंगलं, सिद्धा मंगलम्, साहु मंगलं, केवल पन्नतो धम्मो मंगलम्. चत्तारि लोगुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवल पन्नतो धम्मो लोगुत्तमो. चत्तारि शरणं पवज्जामि, अरिहंते शरणं पवज्जामि, सिद्धे शरणं पवज्जामि, साहु शरणं पवज्जामि, केवलि पन्नतं धम्मं शरणं पवज्जामि, शिवमस्तु सर्वजगत; परहितनिरता भवन्तु भूतगणाः दोषा प्रयान्तु नाशं, सर्वत्र सुखी भवतु लोकः. सर्वथा सहु सुखी थाओ, पाप कोई न आचरो; रागद्वेषथी मुक्त थईने, मोक्ष सुख सहु जग वरो. पांच तीरथ वंदना
आबु अष्टापद गिरनार, समेतशिखर शत्रुंजय सार, पांचे तीरथ उत्तम ठाम, सिद्धि वर्या तेने करूं प्रणाम. प्रभाते ऊठीने करुं प्रणाम, शियळवंतना लीजे नाम, पहेला नेमि जिनेश्वरराय, बाळ ब्रह्मचारी लागुं पाय. २४६
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292