Book Title: Jinandji Bhav Jal Par Utar
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 264
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आ भूमिमां खूब गाजे, पापना परघम बेसुरी थई जाय मारी, पुण्यनी सरगम दिलरूबाना तारनु, भंगाण सांधी दे........... ज्यां वसे छे० २ जोम तनमां ज्यां लगी छे, सौ करे शोषण जोम जाता कोई अहींया, ना करे पोषण मतलबी संसारनुं जोडाण कापी दै............. ज्यां वसे छे० ३ रंगाई जाने रंगमां रंगाई जाने रंगमां, तुं रंगाई जाने रंगमां, महावीर तणा सत्संगमां, आदिनाथ तणा रंगमां,रंगाई जाने... आज भजशुं, काले भजशुं, भजशुं आदिनाथ क्यारे भजशुं पारसनाथ, श्वास खूटशे, नाडी तूटशे (२) प्राण नहीं रे तारा अंगमां. .. रंगाई जाने... सौ जीव कहेता पछी जपीशुं, पहेला मेळवी लोने दाम, रहेवाना करी लो ठाम, प्रभु पड्यो छे एम क्यां रस्तामां (२) सौ जन कहेता रंगमां... .......... रंगाई जाने... घडपण आवशे त्यारे भजशुं, पहेला घरना काम तमाम पछी फरशुं तीरथधाम, आतम एक दी उडी जाशे(२) तारी काया रहेशे पलंगमां. ............. रंगाई जाने... २५४ For Private And Personal Use Only

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