Book Title: Jinandji Bhav Jal Par Utar
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 278
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फाटेलां के आखां सौ सरखां छे कपडां ज्यारे मोहदशा जागे त्यारे आ चिंतन करजो........ ओघो छे आ वेश उगारे छे, एने जे अजवाळे छे गाफेल रहे एने आ वेश डुबाडे छे डूबवू छे के तरवू मनमां मंथन करजो................. ओघो छे जेना रोमरोमथी... जेना रोमरोमथी त्याग अने संयमनी विलसे धारा आ छे अणगार अमारा दुनियामां जेनी जोड जडे ना एवं जीवन जीवनारा... आ छे. सामग्री सुखनी लाख हती... स्वेच्छाए एणे त्यागी संगाथ स्वजननो छोडीने... संयमनी भिक्षा मांगी, दीक्षानी साथे पंचमहाव्रत... अंतरमा धरनारा... ........ आ छे अणगार अमारा ना पांखो वींझे गरमीमां... ना ठंडीमां कदी तापे ना काचा जळनो स्पर्श करे... ना लीलोतरीने चापे, नानामां नाना जीवोनुं पण... संरक्षण करनारा... ......... आ छे अणगार अमारा For Private And Personal Use Only

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