Book Title: Jinandji Bhav Jal Par Utar
Author(s): Padmaratnasagar
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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मैत्री भावना मैत्रीभावनुं पवित्र झरj, मुज हैयामां वह्या करे, शुभ थाओ आ सकल विश्वनु, एवी भावना नित्य रहे. गुणथी भरेला गुणीजन देखी, हैयुं मारुं नृत्य करे, ए संतोना चरण कमलमां, मुज जीवननु अर्ध्य रहे. दीन क्रूर ने धर्मविहोणा, देखी दिलमां दर्द रहे, करुणाभीनी आंखोमांथी, अश्रुनो शुभ स्रोत वहे. मार्ग भूलेला जीवन पथिकने, मार्ग चींधवा ऊभो रहुं, करे उपेक्षा ए मारगनी, तोये समता चित्त धरुं. चंद्र प्रभुनी धर्मभावना, हैये सौ मानव लावे, वेरझेरना पाप त्यजीने, मंगल गीतो सौ गावे.
रात्रे सूता पूर्वे सौ प्रथम रात्रे सूता पूर्वे परमात्मानी स्तुतिओ बोली प्रार्थना करवी, प्रार्थना पूर्ण थतां बधांए नीचे मुजबनो पाठ बोलवो. हे परमात्मा! 'निंदामि' दिवस दरम्यान करेला पापोनी साचा दिलथी निंदा करुं छु. हे भगवान! ‘गरिहामि' दिवस दरम्यान करेला पापोनी खरा हृदयथी गर्दा करुं छु.
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