Book Title: Jinabhashita 2004 10
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 5
________________ सम्पादकीय गिरनार जी में स्थिति अभी भी ज्यों की त्यों 'जैन संस्कृति रक्षा मंच' जयपुर का पत्र जैन गजट' (26 अगस्त 2004) में प्रकाशित हुआ था, जिसमें कहा गया था कि मंच के प्रयास से गुजरात के राज्यपाल महामहिम पं. नवलकिशोर जी शर्मा ने गिरनार-प्रकरण में हस्तक्षेप किया। परिणामस्वरूप पर्वत पर जैन धर्मावलम्बियों की पूजा-अर्चना में बाधा डालनेवाले उपद्रवी तत्त्वों का सरगना गिरफ्तार कर लिया गया। अब जैन बिना किसी बाधा के पूजा अर्चना कर सकेंगे। इस पत्र के प्रकाशन के बाद श्री निर्मलकुमार जी बण्डी का पत्र प्राप्त हुआ जो इस प्रकार है___ "अ.भा. तीर्थ रक्षा समिति के अध्यक्ष श्री रमेशचन्द्र जी साहू के नेतृत्व में जैन समाज का प्रतिनिधि मण्डल केन्द्रीय सांस्कृतिक मंत्री श्री जयपाल रेड्डी से मिला एवं उन्होंने त्वरित कार्यवाही का आश्वासन दिया। श्री बन्डीलाल जी दिगम्बर जैन कारखाना गिरनार की एफ.आई.आर. पर प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए निर्माणकार्य रुकवाया एवं कर्मचारी को गिरफ्तार कर तुरन्त छोड़ दिया। आज भी उक्त स्थान पर अन्य समाज के प्रतिनिधियों का ही अधिकार है। पुरातत्त्व विभाग का एक आदमी प्रतिदिन पाँचवे टूक पर जाकर मूर्ति एवं चरणकमल की स्वच्छता पर सतत निगाहें रखे हुए हैं। कल दिनांक 15 अगस्त को ही करीबन 150 तीर्थ यात्रियों ने पांचवें टूक की वन्दना की। दर्शन में किसी भी प्रकार की रुकावट हमें नहीं मिल रही है, परन्तु भगवान की जय जयकार नहीं करने दे रहे हैं।" "श्री गिरनार तीर्थ रक्षा समिति के राष्ट्रीय संयोजक श्री निर्मलकुमार बन्डी ने बताया कि गुजरात की मोदी सरकार के मातहत गिरनार पर्वत पर अतिक्रमण को पूरे भारतवर्ष से जैन समाज के आ रहे दबाव के तहत अस्थायी रूप से रोक दिया गया है एवं निर्माणसामग्री नष्ट कर भगवान नेमिनाथ की मूर्ति, चरणकमल स्वच्छ कर दर्शन लायक बना दिये गये हैं। परन्तु अन्य मूर्ति एवं निर्माण जस का तस मौजूद है। आपने समग्र जैन समाज से पुनः आह्वान किया कि गिरनार जी की रक्षा करना प्रत्येक जैन का प्रथम कर्त्तव्य है एवं हमें पुनः संगठित होकर शासन एवं केन्द्र पर दबाव बनाना चाहिए। पचास वर्ष पूर्व जो पाँचवें टूक की स्थिति थो, वही रखी जावे एवं निर्माण तथा अन्य देवता की मूर्ति को वहाँ से तत्काल हटाया जाय। सभी जैन बन्धुओं को पत्र द्वारा एवं जैन संस्थाओं को ज्ञापन के माध्यम से सतत दबाव बनाये रखना है, जब तक कि गिरनार पर्वत पर अपना अधिकार न प्राप्त हो जाये। साथ ही गुजरात सरकार को तुरन्त बर्खास्त कराने की माँग करनी चाहिए।" इसके बाद मैं 3 सितम्बर 2004 को पूज्य मुनि श्री सुधासागर जी के दर्शनार्थ सूरत (गुजरात) गया। वहाँ ललितपुर (उ.प्र.) के यात्री गिरनार जी की वन्दना से लौटते हुए मुनिश्री के दर्शन के लिए सूरत आये। उन्होंने भी निम्नलिखित समाचार दिये 1. चरणों की छतरी पर अभी भी पूर्णत: बाबाओं का आतंक है और जो बाबा वहाँ बैठते हैं, वे चरणों को फूलों से ढके हुए हैं। 2. वे चरणों का अभिषेक और पूजन नहीं करने दे रहे हैं। 3. दत्तात्रेय की जो नवीन मूर्ति स्थापित की गयी है, उसे अभी तक नहीं हटाया गया है और न जो छतरी अवैधानिक रूप से बाबाओं ने बनायी है, वह मिटायी गयी है। 4. कोर्ट के स्टे आर्डर के बाद भी छतरी का कार्य पूर्ण किया गया और पूर्ण होने के बाद मात्र जैन समाज के आक्रोश को शान्त करने के लिए एक मिस्त्री को, जो छतरी का पलस्तर कर रहा था, गिरफ्तार करके यह प्रचार करा दिया गया कि सरकार ने काम रुकवा दिया है। अक्टूबर 2004 जिनभाषित 3 -www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36