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केन्द्रीय सरकार जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित करने
का निर्णय शीघ्र ले : सुप्रीम कोर्ट
माननीय उच्च न्यायालय, नई दिल्ली के विद्वान | को आदेशित करें। न्यायमूर्तिद्वय श्री अशोक भान एवं श्री एस.एच. कापड़िया ने
__इस वाद पर माननीय हाईकोर्ट ने 20.10.1997 को "सिविल अपील नं. 4730/1999 बाल पाटील एवं अन्य/
निर्णय प्रदान करते हुए निर्देशित किया था कि "अपीलार्थी भारत सरकार एवं अन्य वाद पर दिनांक 29.07.2004 को
के विद्वान अभिभाषक श्री चन्द्रचूड़ ने इस वाद में सीमित वादी के 7 एवं प्रतिवादी के 4 अभिभाषकों के पक्ष सुनते
शिकायत दर्शायी है कि अल्पसंख्यक आयोग की अनुशंसा हुए निर्णय प्रदान किया है। वादी के अभिभाषक श्री प्रसेनजित
पर 'जैन समुदाय' को अल्पसंख्यक का दर्जा प्रदान करें, केशवानी (234, न्यू लायर्स चेम्बर्स, उच्चतम न्यायालय,
ऐसा निर्णय भारत सरकार की केबिनेट मीटिंग में किया भगवानदास रोड, नई दिल्ली मो. 98110-49118) ने पक्षकार
जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यह विषय काफी लंबे समय बाल पाटील (सदस्य-महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग,
से निर्णय के लिए लंबित है।" मुंबई (महा.) एवं संयोजक - जैन मायनॉरिटी स्टेटस कमेटीदक्षिण भारत जैन सभा-सांगली, महा. -54, पाटील स्टेट,
____ अतः यह न्यायालय केन्द्र सरकार को निर्देशित करती 278 - जावजी दादाजी रोड, मुंबई-400 007 (महा.) फोन
है कि वह इस विषय की महत्ता को देखते हुए विस्तृत
विचार करके शीघ्रातिशीघ्र निर्णय लेवे। इस निर्देश के साथ -022-23861068, फेक्स-23893030, मोबा. 9869255533) को प्रेषित विवरण में सूचित किया है कि, माननीय
इस वाद का निपटारा किया जाता है।" उच्चतम न्यायालय ने जैन समुदाय को 'अल्पसंख्यक' _इस प्रकार हाईकोर्ट के द्वारा निर्देश दिये जाने के बावजूद घोषित किये जाने हेतु 4 माह का समय अंतिम रूप से प्रदान भी केन्द्रीय सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया। करते हुए भारत शासन को निर्देशित किया है कि आज की
___ सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं किये जाने से पीड़ित होकर तारीख से 4 माह के भीतर इस संबंध में अंतिम रूप से
अपीलार्थियों ने मुंबई उच्च न्यायालय के सम्मुख वर्ष 1998 निर्णय लेवें। इस हेतु अब और अधिक समय नहीं दिया
में वाद क्रं. 4066 रिट पिटीशन दाखिल की थी। जाएगा, क्योंकि यह प्रकरण विगत दस वर्षों से भारत सरकार को निर्णय लेने हेतु लंबित रह चुका है। आगामी दिसम्बर
इस अपील के उत्तर में केन्द्रीय सरकार की ओर से 04 के द्वितीय सप्ताह में यह प्रकरण पुनः लिस्ट पर लाया
एक शपथ पत्र में सूचित किया कि अपीलार्थियों द्वारा जो जाएगा।"
मुद्दे उठाए गए थे, उन्हीं बिंदुओं से संबंधित एक मामला
सुप्रीम कोर्ट में टी.एम.ए.पाई फाउन्डेशन एवं अन्य/कर्नाटक उच्चतम न्यायालय के विद्वान् न्यायमूर्तियों ने निर्णय
सरकार एवं अन्य' विचाराधीन है। अतः इस मामले में प्रदान करते हुए निम्नलिखित उल्लेख किया है :
शीघ्रता से अथवा निश्चित समय सीमा में बँधकर निर्णय नहीं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, जिसका गठन 'राष्ट्रीय लिया जा सकता। फिर भी एपेक्स कोर्ट के निर्णय को ध्यान अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992' को हुआ था, ने में रखते हुए तथा जैन समुदाय तथा सांसदों के प्रोटेस्ट नोट्स दिनांक 03.10.1994 को भारत सरकार को सिफारिश की को दृष्टि में रखते हुए तथ्य तथा कानूनी संदर्भो के अनुसार थी कि अल्पसंख्यक समुदाय के अंतर्गत 'जैनसमुदाय' को अन्त:करण से निर्णय लिया जाना न्यायिक हित में होगा। भी अल्पसंख्यक समुदाय घोषित करे। इस संबंध में चूँकि सरकार टी.एम.ए.पाई. फाउन्डेशन केस के निर्णय तक अधिनियम की धारा 2 (सी) के अंतर्गत दिनांक 23.10.1993 इस विषय में अंतिम निर्णय लेने के लिए असमर्थ है, अतः को अधिसूचना जारी की गई थी।
उच्च न्यायालय ने उस रिट पिटीशन को इस आदेश द्वारा उस समय भारत सरकार ने आयोग की सिफारिश पर
निपटाया कोई कार्रवाई नहीं की थी, अतः पक्षकारों ने मुंबई उच्च "उपर्युक्त वर्णित तथ्यों एवं शपथ पत्र में उल्लेखित न्यायालय में वर्ष 1997 को प्रार्थना पत्र (रिट पिटीशन) वर्णन को देखते हुए तथा आगे अन्त:करण से इस महत्वपूर्ण क्रमांक दिनांक 23.10.93 की अधिसचना के अनसार "जैन | विषय में निर्णय लिया जाएगा जो किटी पमपाई समुदाय" को अल्पसंख्यक घोषित करने हेतु भारत सरकार | फाउन्डेशन के अपेक्स कोर्ट संबंधी निर्णय के बाद ही किया
- अक्टूबर 2004 जिनभाषित 17 For Private & Personal Use Only
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