Book Title: Jinabhashita 2004 10
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 20
________________ जा सकेगा, अतः इस विषय को लंबित रखने से कोई विशेष | की केबिनेट मीटिंग में अनुशंसा किये जाने हेतु दबाव बनाने/ उद्देश्य की पूर्ति होगी, ऐसा हम नहीं सोचते। बनवाने में मदद करने हेतु प्रयास करें। अतएव वर्तमान सन्दर्भ में इस पिटीशन को निपटाया इसी संदर्भ में श्वेताम्बर जैन समाज के मूर्तिपूजक, जाता है। जो भी मुद्दे इस पिटीशन में उठाये गये हैं, वे सभी स्थानक वासी एवं तेरहपंथी साधु-महासतियों, संस्थाओं के ज्यों के त्यों खुले हैं।" पदाधिकारियों, संगठनों से भी संपर्क करके समग्र जैन समाज ___टी.एम.ए.पाई. फाउन्डेशन के स (सुप्रा) को के लिए हितकर इस महत्वपूर्ण कार्य को क्रियान्वित कराने/ कान्स्टीट्यूशनल बेंच के द्वारा 31.10.2002 को निर्णीत किया करवाने में सहयोग हेतु संपर्क किया जा सकता है। स्थानीय गया है जो सुप्रीम कोर्ट केस वर्ष 2002 (8) का क्रं. 481 में समाचार पत्रों में सामाजिक संगठनों के द्वारा केन्द्र सरकार से प्रकाशित है। उच्च न्यायालय ने उस रिट पिटीशन को निपटा जैन समुदाय को अल्पसंख्यक घोषित करने हेतु विज्ञप्तियां दिया है। जारी की जा सकती है। तो जैन समाज के द्वारा प्रकाशित की जा रही विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी सूचना प्रकाशित टी.एम.ए.पाई. फाउन्डेशन केस में इस रिट पिटीशन में कराके जैन समाज एवं सामाजिक संगठनों से अनुरोध किया उठाए गए बिन्दुओं को उठाया ही नहीं है और ना ही उस जा सकता है। इसी के साथ ही स्थानीय जैन मंदिरों, स्थानकों, सबंध में निर्णय ही दिया गया है। उक्त अल्पसंख्यक आयोग धर्मशालाओं, जैन विद्यालयों आदि में सूचना-फलक पर द्वारा की गई अनुशंसाओं के ऊपर सरकार के द्वारा अंतिम इसका विवरण चिपकाकर तथा सामूहिक रूप से हस्ताक्षर निर्णय लिया जाना अभी भी लंबित है। अभियान चलाकर माननीय प्रधानमंत्री, श्रीमती सोनिया गांधी, ___चूँकि अल्पसंख्यक आयोग द्वारा की गई सिफारिशें श्री बाल पाटील, मुंबई (पता उपर्युक्त), माननीय राष्ट्रपति केन्द्र सरकार के समक्ष विगत 10 वर्षों से अंतिम निर्णय हेतु महोदय, राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली, फेक्स - 011लंबित है, अतः हम इस केस को शासन द्वारा अंतिम निर्णय 23017290 आदि को हस्ताक्षरित पत्रों की प्रतियाँ प्रेषित की हेतु आज से 4 महीनों तक का समय प्रदान करते हैं। केन्द्रीय जा सकती हैं। इस संबंध में ज्ञापन का एक विवरण नीचे सरकार को यह भी स्पष्ट किया जाता है कि इस संबंध में मुद्रित है जिसका उपयोग करके हस्ताक्षर अभियान चलाया अब और अधिक समय प्रदान नहीं किया जाएगा। जा सकता है माननीय उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली के विद्वान "माननीय उच्चतम न्यायालय की खण्डपीठ ने"'बाल न्यायमूर्तियों के द्वारा प्रदत्त इस तीन पृष्ठीय निर्णय का भावानुवाद पाटील एवं अन्य विरुद्ध भारत सरकार एवं अन्य ' नामक यहाँ प्रस्तुत किया गया है। इस निर्णय के परिप्रेक्ष्य में जैन वर्ष 1999 की सिविल अपील नंबर 4730 के संबंध में समाज के समस्त पिच्छिाकाधारक साधुवर्ग, जैन सांसदों - विगत दिनांक 29.07.2004 को केन्द्र सरकार को आदेशित विधायकों, भारतवर्षीय धर्मसंरक्षिणी महासभा. दिगम्बर जैन किया है कि वह "जैन समुदाय" की चिर प्रतीक्षित, तथ्यात्मक परिषद, दिगम्बर जैन महासमिति, दक्षिण भारत जैन सभा, एवं न्यायोचित मांग को मूर्त रूप से क्रियान्वित करने हेतु जैन सोशल ग्रुप आदि संस्थाओं के अध्यक्ष, पदाधिकारियों, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की दिनांक03.10.1994 की अन्य सामाजिक संगठनों से भी अनुरोध है कि वे इस अत्यंत अनुशंसा के अनुरूप "जैन समुदाय' को आगामी चार माह महत्वपूर्ण एवं जैन समाज के हित संरक्षण से संबंधित मुद्दे के भीतर राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक समुदाय घोषित करें।" पर संगठित होकर माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार, ___ इस परिप्रेक्ष्य में हम केन्द्रीय सरकार, भारतीय राष्ट्रीय प्रधानमंत्री कार्यालय, 7-रेसकोर्स रोड नई दिल्ली, फेक्स - कांग्रेस (आई), राष्ट्रवादी कांग्रेस, राजद, सपा, कम्युनिष्ट 011-23019334 श्रीमती सोनिया गांधी-अध्यक्ष भारतीय पार्टी, द्रमुक आदि सभी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के राष्ट्रीय कांग्रेस (आई)- 10-जनपथ, नई दिल्ली, केन्द्र सरकार घटक दलों से भी अनुरोध करते हैं कि "जैन समुदाय" को के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के प्रमख घटक दलों के राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित किये जाने हेतु केन्द्रीय अध्यक्षों, राज्यों में स्थित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई), सरकार की केबिनेट की मीटिंग में की अनुशंसा माननीय राष्ट्रवादी कांग्रेस, राजद, सपा, कम्युनिष्ट पार्टी, द्रमुक आदि उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रदत्त समय सीमा (29 नवम्बर, के अध्यक्ष, स्थानीय सांसदों-विधायकों पदाधिकारियों आदि 2004) के पहले ही शीघ्रातिशीघ्र करके "जैन समुदाय" को ज्ञापन देकर जैन समुदाय' को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक की न्यायोचित मांग को सार्थक रूप से मूर्त रूप प्रदान करें।' घोषित किये जाने वाले इस मुद्दे पर शीघ्रातिशीघ्र केन्द्र सरकार | 18 अक्टूबर 2004 जिनभाषित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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