Book Title: Jinabhashita 2004 03 Author(s): Ratanchand Jain Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra View full book textPage 4
________________ आपके 'जिनभाषित' का सम्पादकीय मन को छू गया । भट्टारकों पर आपकी समीचीन दृष्टि अत्यन्त उपादेय है। सराहनीय है । भोपाल में १४, १५, १६, १७ एवं १८ मार्च २००४ को भगवान आदिनाथ कथा का आयोजन था। जिसमें आदिकुमार जी की बारात का भव्य जुलूस रात्रि में निकाला गया। यद्यपि यह जुलूस प्रातः निकालने का निश्चय किया गया था। न जाने क्यों समय परिवर्तन कर रात्रि में बारात का जुलूस निकाला गया। भोपाल में प्राय: 'दिन में शादी - दिन में भोज' की अहिंसक परम्परा का प्रचलन है। इसे ही जैनों को प्रश्रय देना चाहिए। बारात के रात्रि में निकालने वरमालादि का रात्रि में आयोजन के निषेध की व्यवस्था की इस उदाहरण कमर तोड़ दी है। जो नहीं होना चाहिए था वह हुआ । श्रीपाल जैन 'दिवा' एल-७५, हर्षवर्द्धन नगर, भोपाल मैं 'जिनभाषित' पत्रिका का नियमित पाठक हूँ। 'जिनभाषित' पत्रिका जैन संस्कृति की उच्च कोटि की पत्रिका है, पत्रिका के नये अंक का परिवार के सभी सदस्यों को इंतजार रहता है। भोपाल में मुनि श्री पुलक सागर जी महाराज का जैन समाज एवं अन्य समाज को उनके क्रांतिकारी प्रवचनों का लाभ मिल रहा है। सभी लोग प्रवचन के समय का बेसब्री से इंतजार करते हैं। पत्र, धन्यवाद : सुझाव शिरोधार्य भोपाल में प्रथम बार 'ऋषभ कथा' का स्वयं मुनिश्री के कर कमलों से वाचन हुआ एवं काफी तादाद में धर्म प्रेमी बन्धुओं ने ज्ञान अर्जित किया । परन्तु मुनिश्री के आदेशानुसार प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव भगवान की बारात निकाली गई जो शाम को ७ बजे प्रारम्भ होकर रात्रि ११ बजे स्थान पर पहुँची । जब रात्रि में मार्च 2004 जिनभाषित 2 Jain Education International महाराज स्वयं पैदल नहीं चलते तो क्या भगवान की बारात निकालना एक सुसज्जित रथ पर भगवान की मूर्ति को लेकर लगभग ४ घंटे तक बाजार के मुख्यमार्गों से गाजे-बाजे के साथ निकालना क्या उचित है ? मेरे मन में जो शंका है मैं आपसे मार्ग दर्शन चाहता हूँ। मेरे जैसे और भी लोग हैं जो इस पर सही या गलत को लेकर वाद-विवाद कर रहे हैं। आपका क्या सुझाव है, क्या विचार हैं। कृपया पत्रिका के माध्यम से अपने विचार देने का कष्ट करें। दिनेश जैन स्टेशन क्षेत्र, भोपाल हमें 'जिनभाषित' पत्रिका बराबर मिल रही है। आपके द्वारा सम्पादित जिनभाषित में अच्छे विचार व समाचार आते हैं। अभी हाल में भोपाल में आयोजित 'ऋषभ कथा' कार्यक्रम के दौरान राजकुमार आदिकुमार की बारात रात्रि में निकाली गई। साथ में भगवान की प्रतिमा भी थी। हमारे मुनिमहाराज जहाँ रात्रि में बारात एवं विवाह का निषेध करते हैं, वहीं इस प्रकार की बारात का आयोजन कहाँ तक उचित है ? मार्ग दर्शन देने की कृपा करें। शिखरचंद जैन शंकराचार्य नगर, भोपाल 'जिनभाषित' पत्रिका की सामग्री देखकर मन आनन्द विभोर हो उठा, कई नये क्षेत्रों की जानकारी होती है, मेरे कुछ सुझाव हैं: 1. जैन समाज में निषिद्ध खाद्य आदि पदार्थों के बारे में भी लेख प्रकाशित किये जावें। जैसे: चाँदी के वर्क, पेप्सी, कोकाकोला, लिपस्टिक, सेन्ट, जिलेटिन वाले पदार्थों की जानकरी एवं उनके हानिकारक प्रभाव । For Private & Personal Use Only प्रेमचन्द्र जैन सेवानिवृत प्रधानाचार्य रामगंजमण्डी, जिला - कोटा, राजस्थान www.jainelibrary.orgPage Navigation
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