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पशुपक्षी-बलि-प्रतिषेध अधिनियम हेतु अनुरोध
देश के अनेक प्रान्तों में 'पशु-पक्षी-बलि प्रतिषेध' विषयक अधिनियम नहीं होने से अनेकशः स्थानों पर पशुपक्षियों की बलि चढ़ाए जाने के समाचार पढ़ने-सुनने में आते रहते हैं। म.प्र. की विधानसभा से पूर्व में एतद् विषयक अधिनियम पारित भी होचका है। किन्तु किन्हीं कारणों से वह अभी तक राजपत्र में प्रकाशित नहीं हो पाया है। पाठकों से अपेक्षा है कि वे अपने नगर के अहिंसक, शाकाहार, जीवदया, प्राणीमैत्री में आस्था रखने वाले जैन एवं जैनेतर व्यक्तियों तथा संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित करें एवं निम्नलिखित मैटर को अपनी-अपनी संस्थाओं के नाम से मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री उमाभारती, भोपाल केनाम से प्रेषित करें। इसी के साथ ज्ञापन में उल्लिखित प्रान्तों को छोड़कर उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, बिहार, झारखण्ड, हरियाणा आदि प्रान्तों के मुख्यमंत्रियों को भी इस मैटर में से बीच का एक पैराग्राफ हटाकर प्रेषित करके जीवदया के कार्य में अपना योगदान दे सकते हैं।
सम्पादक
विषय : प्रदेश में पशु एवं पक्षियों की बलि-प्रथा रोकने हेतु अधिनियम बनाए जाने के सम्बन्ध में।
१. हम आपका ध्यान इस ओर आकृष्ट करना चाहते हैं कि प्रदेश में अनेक जगहों पर धार्मिक उपासना स्थलों की पवित्रता को पशु या पक्षियों की बलि चढ़ाकर धर्म के नाम पर व्यक्तिगत स्वार्थ, भोग-लिप्सा के बहाने नष्ट किया जा रहा है।
२. सभी धर्म एवं सम्प्रदाय को मानने वाले यह भली-भाँति जान चुके हैं कि इन मूक एवं निरीह प्राणियों की बलि चढ़ाए जाने से देवता प्रसन्न नहीं हो सकते। इन प्राणियों की जीवन रक्षा करना हम सब का परम कर्तव्य है, धर्म है। आज जब असहाय और मूक पशु-पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण करने हेतु केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों द्वारा अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, तो ऐसी परिस्थितियों में उनकी बलि चढ़ाए जाने पर रोक नहीं लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।
३. अहिंसा, दया, करुणा की प्रतिमूर्ति भगवान् महावीर स्वामी के २६०२ वें जन्म जयन्ती वर्ष के पुनीत प्रसंग पर हम आप जैसे संवेदनशील एवं अनुशासन प्रिय महोदय से अनुरोध करते हैं कि मंदिरों एवं धार्मिक उपासना स्थलों की पवित्रता को बनाए रखने हेतु प्रदेश में पशु-पक्षी बलि प्रतिषेध विषयक अधिनियम बनवाकर, उसका अतिशीघ्र पालन करना सुनिश्चित करावें और प्रदेश में व्याप्त इस सामाजिक बुराई को दूर करके मूक पशु-पक्षियों का अभयदान दिलवाएँ।
४. यहाँ विशेष रूप से यह भी ध्यातव्य है कि इस विषय में देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही विभिन्न प्रदेशों में प्रयास किए जाकर अधिनियम बनाए जा चुके हैं, जो संलग्न हैं : १. मैसूर पशु बलि निवारण अधिनियम, १९४८
(देखें, पृष्ठ ४५०) The Mysore Prevention of Animal Sacrifices Act, 1948 (Mysore Act Ll of 1948).
(See, Page 462) आन्धप्रदेश पशु-पक्षियों की बलि (प्रतिषेध) अधिनियम, १९५०
(देखें, पृष्ठ ४७९-४८०) (संशोधन अधिनियम, दिसम्बर १९७० द्वारा संशोधित १९७० का १५ वाँ) The Andhra Pradesh Animals and Birds Sacrifices (Prohibition) Act, 1950 (32 of 1950) (As amended upto December 1970, wide the Andhra Pradesh Animals and Birds Sacrifices Prohibition (Amandment) Act, No 15 of 1970)
(See, Page 481-483) तमिलनाडू पशु-पक्षी बलि प्रतिषेध अधिनियम १९५०
(देखें, पृष्ठ ४९५-४९६) Tamil Nadu Animals and Birds Sacrifices (Prohibition) Act, 1950
(See.Page 505) Madras Animals And Birds Sacrifices Prohibition Act, 1950 (Madras Act No. xxxil of 1950)
(See, Page 462) ४. कर्नाटक पशु बलि प्रतिषेध अधिनियम, १९५९
(देखें, पृष्ठ ४४७-४५०) The Karanataka Prevention of Animals Sacrifices Act, 1959 (3 of 1960]
(See, Page 460-463) ५. कर्नाटक पशु बलि प्रतिषेध नियम, १९६३
(देखें, पृष्ठ ४५०) The Karanataka Prevention of Animals Sacrifices Rules, 1963
(See, Page 460-463) The Karanataka Prevention of Animals Sacrifices (Amendment) Act, 1975
INo.21 of 1975] ६. पाण्डिचेरी पशु-पक्षी बलि प्रतिषेध अधिनियम, १९६५
(देखें, पृष्ठ ५७२-५७३ एवं ४२५) The Pondicherry Animals And Birds Sacrifices Prohibition Act, 1965 (8 of 1965) (See, Page 425-426) ७. केरल पशु-पक्षी बलि प्रतिषेध अधिनियम १९६८
(देखें, पृष्ठ ५०६-५०७) The Kerala Animals and Birds Sacrifices Prohibition Act, 1968 (20 of 1968] 26 मार्च 2004 जिनभाषित
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