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समाचार
गुजरात व राजस्थान की अनेकों जैन संस्थाओं की ओर से सम्मान
दिया गया। उनके साथ पदयात्रा पर आये सांगानेर, जयुपर, रचा गया सुनहरा इतिहास
किशनगढ़, अजमेर, आंवा, कोटा (राज.) के १०० से भी अधिक सिद्धक्षेत्र गिरनारजी की पहली टोंक पर त्रिकाल
लोगों का सम्मान किया गया।
इस अवसर पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हये मनिश्री चौबीसी का शिलान्यास ।
ने कहा कि 'जब एक ही स्थान से अनेकों भक्तों की आस्था जडी सिद्धक्षेत्र गिरनार (गुजरात) दिगम्बर जैन संत मुनिपुंगव
हो तो हमारी परम्परा और संस्कृति यह कहती है कि हमें सबकी श्रीसुधासागर जी महाराज की १० फरवरी को गिरनार सिद्ध क्षेत्र
भावना का सम्मान करना चाहिए। हमारी संस्कृति शेर और गाय की निरन्तर ५ वीं वन्दना पूरी हो गई। मुनिश्री एवं संघ के साथ
के एक ही घाट पर पानी पीने की रही है। ये जैन धर्म के अहिंसा हजारों श्राावकों ने पाचों टोंकों पर अभिषेक, पूजा-अर्चना की
के सिद्धान्त में ही इतनी शक्ति है। मुनिश्री ने कहा कि हमें सोहार्दपूर्ण वातावरण में गिरनार सिद्धक्षेत्र की पांचों टोंकों पर वंदना
वात्सल्य एवं सोहार्दपूर्ण वातावरण बनाना है।' मुनि श्री के प्रवचन जैन जगत की ऐतिहासिक घटना है। मुनिश्री ने ६ फरवरी से
सन्देश के रूप में पूरे गिरनार क्षेत्र के जैन एवं अजैनों में प्रसारित गिरनार सिद्ध क्षेत्र की वन्दना शुरु की थी। इसके बाद लगातार
होते हैं। वहाँ का वातावरण सोहार्दपूर्ण बना हुआ है और मुनिश्री प्रतिदिन तलहटी से पूरी पाँच वन्दना की। मुनिश्री के साथ ऐलक
के गिरनार तलहटी की दि. जैन धर्मशाला में प्रवास के दौरान क्षेत्र सिद्धान्तसागर जी, क्षुल्लकद्वय श्री गम्भीरसागरजी, धैर्यसागर जी,
के अनेकों राजनेताओं एवं महंतों का दर्शनार्थ आना-जाना लगा ब्र. संजय भैया एवं हजारों श्रावक साथ थे। पाँचवी टोंक पर
रहता है। क्षेत्रीय सांसद एवं केन्द्रिय राज्यमंत्री श्रीमति भावनाबेन नेमीनाथ भगवान के चरण चिन्हों का सोहार्द पूर्ण वातावरण में
चिखलिया सपरिवार, विधायक भाई सुरेजा, जूनागढ़ की पूर्व अभिषेक-पूजन होना ही अपने आप में बहुत बड़ा अतिशय है।
नगरपालिका प्रमुख श्रीमति आरती बेन जोशी, कमण्डल कुण्ड के दिगम्बर जैन मुनि के प्रभाव से शेर और गाय एक ही घाट पर
ट्रस्टी एवं महंत श्री महेशगिरिजी के निजि सचिव श्री नीरव पानी पीते थे। आज यह दृश्य साक्षात् मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी
पुरोहित इत्यादि लोगों ने मुनिश्री के दर्शन किये और सान्निध्य महाराज के सान्निध्य में पाँचवी टोंक पर देखने को मिला जहाँ पर
प्राप्त किया। महंत मेघानन्दजी एवं महंत मुक्तानन्दजी से गिरनार समस्त लोग साम्प्रदायिक विद्वषोंको भूलकर एक दूसरे की श्रद्धा
क्षेत्र के विषय में सोहार्दपूर्ण चर्चा हुई। श्री नीरव पुरोहित ने भावना का सम्मान कर रहे थे। मुनिश्री के साथ पांचवी टोंक पर
मुनिश्री से लगभग आधा घण्टे तक पांचवी टोंक के बारे में अभिषेक के समय सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे। पूज्य मुनिश्री संघ
सोहार्दपूर्ण वार्ता की उन्होंने बताया कि पांचवीं टोंक पर स्थापित सहित कोटा (राज.) से २० दिसम्बर २००३ को विहार कर जैन
भगवान नेमीनाथ के चरण चिन्ह जिन्हें अन्य सम्प्रदाय गुरु दत्तात्रेय तीर्थ पावागढ़, घोघा, सोनगढ़ और पालीताना की वन्दना करते हुये
के चरण मानता है, जिनके दर्शनार्थ प्रतिदिन इस टोंक पर सभी ११०० कि.मी. पदयात्रा कर हजारों श्रावकों के साथ ५ फरवरी को
मतावलम्बी आते हैं। श्री नीरव पुरोहित ने मुनिश्री से कहा कि प्रात: गिरनार तलहटी में साज-बाज के साथ ऐतिहासिक मंगल
हमारी तरफ.से इस टोंक पर नेमीनाथ भगवान की जय बोलने पर प्रवेश हुआ। मंगल प्रवेश के समय केसरिया ध्वज लिये सैकड़ों
कोई आपत्ति नहीं है। साथ ही कहा कि पांचवी टोंक पर सभी लोग साथ चल रहे थे। महिलाएँ मंगल कलश लिये थीं। देश के
मतावलम्बी आपस में सोहार्दपूर्ण वातावरण में पूजा अर्चना कर विभिन्न प्रांतों से आये हजारों श्रद्धालु जयकारे लगाते साथ चल
सकें ऐसा उनका प्रयास रहेगा। बाद में उन्होंने मुनिश्री से अनुरोध रहे थे। उत्साह और उमंग के साथ सैकड़ों लोग नृत्य करते हुए
किया कि आप कुछ दिन के लिये ऊपर ही विराजें। आगे-आगे चल रहे थे। केसरिया गुलाल उड़ाते चल रहे युवकों ने |
पांच वन्दना पूर्ण करने के बाद मुनिश्री ने प्रबन्ध कमेटी के पूरा वातावरण केसरिया मय बना दिया। बाद में शोभायात्रा सनातन
विशेष आग्रह पर गिरनार पर्वत की पहली टोंक पर स्थित दिगम्बर धर्मशाला के प्रांगण में विशाल धर्मसभा में बदल गई। सभा की
जैन मंदिर के प्रांगण में त्रिकाल चौबीसी के निर्माण हेतु अपना शुरुआत में पदयात्रा के संयोजक श्री हुकुमजैन 'काका' कोटा को |
28 मार्च 2004 जिनभाषित
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