Book Title: Jainagam Sukti Sudha Part 01
Author(s): Kalyanrushi Maharaj, Ratanlal Sanghvi
Publisher: Kalyanrushi Maharaj Ratanlal Sanghvi

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Page 5
________________ समपण तपो निषि, बाल ब्रह्मचारी, साहित्य सेवी, आचार्य प्रवर, पूज्य गुरु देव श्री १००८ श्री; स्वर्गीय अमोलक ऋषि जी महाराज के पुनीत चरण कमलो में परम आराध्य देव ! आप ही की सत् कृपा से मेरी यह आत्मा मोक्ष-पथ की पथिक बन सकी है, सम्यक् दर्शन ज्ञान चारित्र की आराधना करने वाली हो सकी है, दुर्लभ मुनि पद और वीतराग-वाणी को प्राप्त कर सकी है, इस प्रकार आप जैसे महान् सन्त और गुरु देव के अनन्य उपकार और सात्विक प्रेम से आकर्षित होकर श्री सघ तथा जनता की सेवा के लिए आप के पवित्र चरण कमलो में श्रद्धा के साथ यह ग्रंथ समर्पित है। रायचूर दीपमालिका २००७ । लघु-सेवक मुनि कल्याण ऋषि.

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