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जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
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असद् उपदेशों से उस सच्ची श्रद्धा को तोड़ते हैं वे महामिथ्यात्व मोहनीय का बंध करते हैं ।
डोशीजी जैनधर्म में भी मूर्तिपूजा को विकृति बता रहे हैं। मूल आगमों में गणधर भगवंत मूर्ति और मूर्तिपूजा को स्थान दे रहे हैं वह विकृति हैं या प्रकृति, उसका निर्णय तटस्थ व्यक्ति ही करेंगे
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मन में धन की आसक्ति
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