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वीरगवान का श्रावक श्री
कहते हो सो
श्रश्रेलिक राजाका पुत्र, अजय कुमार की कथा (३२) सूत्र के मूल पायें कहां हो? श्रीलिक अर्थात पलीमाताका) श्री अजय कुमारने राजा की रालीयों का महल जला था, कहते हो सो (३२) सूत्र के मूलकक्ष में कहाँ है?
Yएक मुनिने,
श्रेणिकराजा क स मजा ने कु झगडबंब बजा या? ऐसा कहते हो सो (32) सूत्र के मूल पाठ में कहा है?
श्रेणिकराज, कपिला दोसी से दान दिवावे (ए) कालक कसाई से पांच से) भैंसे का मारएणअघकरावे। कारमीका पंचकण करे(३) और पुनिया आ बकसे सामायिकका फल प्राप्त करे (४) यहवार बो [सावीर प्रभु ने फुर माया, परंतु लि कुवानहिं तिससे तरक में जा नाही पए" ऐसा करू ते हो सो मूत्रपात्रले
परिशिष्ठ - २ जैनागम सिद्ध मूर्तिपूजा
॥मीजी का पूर्व नवमे जवदेवनाम और उनकी स्त्री नाम ना मिला। कहते हो सो (३२) सूत्रके मूलक में कहा है ? ८४ जंबु स्वामी की मात्रा का नाम धारणी और
नाम कुषा
कहते मोर) सूत्र के मूलया हमें कहाँ है? अबूस्वामीजीको आठ स्त्रीया ऊईऐसा कहते हो सो (३२) सूत्र के
हमें कहा है
अनुस्व
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न्यांश
०का नाम, कहते हो सो (३२) सूनचे
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