Book Title: Jain Stotra Sangraha Part 02
Author(s): Yashovijay Jain Pathshala
Publisher: Yashovijay Jain Pathshala
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श्रीमुनिसुन्दरमरिविरचिता।
अनुत्तरब्रह्ममयं निरङ्क
मृगाङ्कबिम्बोज्ज्वलकायकान्तिम् । श्रीवर्डमानादिमशिष्यनाथं • श्रीगौतमस्वामिनमानुवामि ॥ ३ ॥
॥विशेषकम् ॥ निदेशतो वीरजिनेश्वरस्य
दरप्रमश्लोकमितं व्यघाद्यः । श्रीसूरिमन्त्रं त्रिजगडितैषी ___स गौतमो रातु ममेष्टसिद्धिम् ॥ ४ ॥ सरस्वती विश्वहितावधाना
सूरीश्वरध्यानपदप्रभावा । सहस्रहस्तप्रथिता त्रिलोक
स्वामिन्यपि प्रार्थितशस्तदात्री ॥ ५ ॥ श्रीदेवता विश्वविमोहनी चा
सुरेन्द्रवर्गस्तवनीयरूपा। यक्षाधिपो विंशतिशस्तहस्त- स्फुरज्जगजैत्रपराक्रमश्च ॥ ६ ॥
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