Book Title: Jain Stotra Sangraha Part 02
Author(s): Yashovijay Jain Pathshala
Publisher: Yashovijay Jain Pathshala

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Page 260
________________ ॥ अहम् ॥ श्रीद्वीपबन्दिरनवमजिनस्तवनम् । नवमश्रमणपवरममरव्रज परमशमक्षमसकलवदनकज । गतमलममदमसमजनगतमन भज नरभवभयहरणमचलधन ॥ १ ॥ ध्वस्तक्षय मदमदनशमरकर कमलदलप्रभनयनयमलधर । चरणकरणकलवरतरसदन भव मकरध्वजपरपदददन ॥ २ ॥ मकरध्वजतवपदयममघहर मस्तश्रम हस्तद्वयमजकर । अक्षरपदप्रद हतमद गतभव नवलक्षप्रकटप्रवरस्तव ॥ ३ ॥ मतमतमकरध्वजसरलच्छल गजशरवक्षतमनभवदल । घनकश्मलजलधरशम मम भव मप्रभहर जनवत्सल घनरव ॥ ४ ॥ "मप्रभदमय सबलकलघनरव॥” पाठान्तरम् ॥

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