Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 04
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 18
________________ बोल न० ७६६ सम्भोग बारह ७६७ ग्लानप्रतिचारी बारह ८०५ श्रमण को उपमा ऍ ८०६ सापेक्ष यति धर्म के बारह विशेषण ८०७ कायोत्सर्ग के आगार - ( १० ) ७६८ बालमरण के भेद ७६६ चन्द्र और सूर्यो की संख्या ८०० पूर्णिमा बारह ८०१ अमावास्या बारह ८०० मास बारह ८०३ बारह महीनों में पोरिसी का परिमाण ८०४ धर्म के बारह विशेषण ३०६ ३.६ बारह ८ कल्पोपन्न देव बारह ८०१ कर्म प्रकृतियों के द्वार ८१० ईषत्प्राग्भारा पृथ्वी के बारह नाम ८११ जीवादि नव तत्त्वों के पृष्ठ | बोल न‍ २६२ ८१२ बारह भावना २६७ ( अनुप्रेक्षा ) ३५५ २६८ | ८१२ बारह भावना के दोहे ३७६ ८१२ बारह भावना भाने वाले ३०० ३०२ ३०३ ३०३ ३१४ ३१६ ३१५ ३३६ ३०४८१६ कायक्लेश के भेद ८१७ आहारक और अनाहा ३५२ ज्ञान से बारह बोलों की परपरा प्राप्ति ३५२ महापुरुषों के नाम ३७८ तेरहवां वोल संग्रह ३६१ ८.३ विनय के तेरह भेद ३६१ ८१४ कियास्थान तेरह ८१५ प्रतिसंलीनता के भेद शुध ३६२ ३६५ ३६७ ८१६ असस्कृत अध्ययन की तेरह गाथाएँ ८२० भगवान् श्रपमदेव के तेरह भव रक के तेरह द्वार ३६८ १८ क्रोध आदि की शान्ति के लिये उपाय ४०२ ४०६ પ્રુશ્વ ८२१ सम्यक्त्व के लिए तेरह दृष्टान्त श्रावक के वारह व्रतों की सक्षिप्त टोप ४६३ बारह भावना मगलरा यकृत ४२२ ५१७

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