Book Title: Jain Siddhant Digdarshan
Author(s): Nyayavijay
Publisher: Bhogilal Dagdusha Jain

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Page 29
________________ 28 _ [जैनसिद्धान्तवर्ष पहले निर्वाण को प्राप्त हुए थे। इस प्रकार उनका जीवन-काल इ. सन पूर्व की आठवीं शताब्दी से मिलता है / महावीर के माता-पिता पार्श्वनाथ के धर्म के अनुयायी थे। वर्तमान युग में [ इस * अवसर्पिणी ' काल में ] जैनों में 24 तीर्थंकर हुए हैं। तेवीसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ से हम यथार्थ, ऐतिहासिक प्रदेश में प्रवेश करते हैं। ___जगत के धार्मिक इतिहास तरफ दृष्टि करने से मालूम होता है कि, हझरत मूसा ने याहूदी धर्म चलाया, चीन देश के कन्फ्युसीयस ने कन्फ्युसीयस धर्म चलाया, महात्मा क्राइस्ट ने क्रिश्चियन धर्म चलाया, हझरत महम्मद ने मोहमडन धर्म चलाया, महात्मा बुद्ध ने बौद्ध धर्म को स्थापित किया और महान् जरथोस्त ने पारसी धर्म का स्थापन किया; परन्तु भगवान महावीर इन सबके पहले यानी आज से 2463 वर्ष पहले हुए हैं, जिन्होंने जैन धर्म का, जो कि इनके पहले बहुत प्राचीन समय से चला आ रहा था, पुनरुद्धार और प्रचार किया। इस पर से मालूम हो सकता है कि प्राचीन धर्मों में वैदिक धर्म और जैन धर्म ही गिने जा सकते हैं / ' महावग्ग' और 'महानिव्वानसुत्त : वगैरह बौद्ध धर्मग्रन्थों ( पिटक ग्रन्थों ) में जैन धर्म और भगवान महावीर से सम्बन्ध रखनेवाली कुछ बातें उल्लिखित हैं। श्रीमद् भागवत में [पंचम स्कन्ध, तृतीय अध्याय में ] जैन धर्म के प्रथम तीर्थक्षर भगवान ऋषभदेव का जिक्र है / ' महाभारत ' और ' रामायण' में जैनधर्मसम्बन्धी उल्लेख हैं। और सबसे अधिक महत्त्व की बात यह है कि वेदों में भी जैनधर्मसम्मत तीर्थंकर देवों के अभिधान

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