Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1911 Book 07
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 384
________________ [उपह જૈન કેન્ફરન્સ હેરલ્ડ नेप एक भा (सूर्य) हैं और नव तत्वों का अपूर्व भंडार ( खजाना ) है, एसा परम हितैशी हेरल्डका एक ग्रंथ करके अच्छी तरहसें रखनेकी आवश्यक्ता हैं. यह सबबसें निवेदन करताहुं की हेरल्डका पुरा २ यत्न करें, क्योंकि हेरल्ड की आशातना हुई तो अपनि हुई— हेरल्डका विनय करना चाहिये - विनय महान भूषण है. इस भूषण के सामने सोनेका दागीना, पूष्प माला, मोतीयका हार, जरी किनारकी पोशाक, अतिरूप ( सुन्दरता ) हाथीकी स्वारी आदि बराबरी नही कर सकती है. दोखये पूर्वज महाजनोने कहा है. [डीसेम्भर धिष्ण्यानांगगनो पयोनिधिरपामं भोजबंधु स्त्विषां ॥ देवानां त्रिदिवं नृणांवसुमती विंध्याचल: कुंभिनाम् ॥ आरामः पृथिवीरुहां कुमुदिनीप्रेयान् कलानां यथा ॥ कासारः सरसीरुहां च विनयः स्थानं गुणानां तथा ॥ अर्थ—उर्गण (ताराओं) का स्थान आकाश है, पाणी (जल) कास्थान समुद्र है, द्युति (कांति) का स्थान रवि (सूर्य) है, देवों का स्थान स्वर्ग है, मनुष्यों का स्थान वाटिका ( बगीचा) (तलाव) है इस ही पृथ्वी है, हाथी (गज) का स्थान विंध्याचल है, वृक्षों का स्थान है, कलाओं का स्थान शशी (चन्द्र) है, कमल का स्थान ताल तरह (सर्व) गुंणो का स्थान विनयहै- त्रिनय कि कैसी महिमा और महात्मह. मैं कर (हात) जोड यथा मति विनय पूर्वक निवेदन करता हूं कि उक्त प्रार्थना पर लक्ष देंगें और परोपकारणी मातेश्वरी कि सेवा तन मन धनसें करेंगें ! ગુરૂ ગુણુ અથવા સુત્ર આધારે જીન પડિયા સિદ્ધ (राग - વીમળા નવ કરશે! ઉચાટ ) રમાજે આનંદ ઉર પ્રગટાય હું પામ્યા સનનેરે શુભ ચતુવિજય ગુરૂરાજ ભકિત રસ માનનેરે. खाने. વમાન પુર નગર સુહાવે, ચતુર વજય ગુરૂ સુત્ર સુણાવે; સત્યાવીસ ગુણ સહિત, મુનીવર માનનેરે. साने. १ સુત્ર તણા શુભ અથ સુણાવે, જીન પુજા અધીકાર બતાવે; શ્રાતા હર્ષિત થાવે પામી સાનનેરે. એમ બહુ અધીકાર સુણાવ્યા જીન, પુજા અધીકાર બતાવ્યા; જીન પિંડમા જીન સરખી નીચે માનનેરે. माने खाने. २

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