Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1911 Book 07
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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બરમાં લાકાના રાતભાત
૧૯૧૧]
। उ१६
की कविने कहा है "डांकण मन्त्र अफीम रस, तस्करने जूआ, परघर रीज्ञीकामणी ये छूटसी मूआ." यह वाक्य कविका सत्य है कि यह व्यसन मरने यही छुटते है. तथापि समझदार छोडना चाहै तो कोई कठिन नही. क्योंकि धीरे २ छोड़ सकता है. यदि आपन व्यसनो से छूटनेमे असमर्थ हो तो अपनी सन्तानको तो बचाइयेकी भविष्यकी सन्तानोंकी दुर्दशा न होने पावे.
इन पूर्व कहे हुए सात व्यसनोके अतिरिक्त औरभी बहुतसे कुव्यसन है. जिनसे बचना बुद्धिमानोका परम धर्म है. हे पाठक गणे यदि आपको अपनी शारीरिक उन्नति व धर्म पालन करना व देश व जातिको आनन्द महालमें देखना चहाते हो तो सदा अफीम, चण्डु, गांजा, चरस धतूरा और भांग तमाखु आदि निकृष्ट पदार्थोसें बचिये. क्योंकि ये पदार्थ परिणाममें बहुतही हानिकरते है
और धर्म शास्त्रोमें इन पदार्थो के सेवन वालो कि निकृष्ट गति कही है और बुद्धिमानो ने इसकि हानियोको प्रत्यक्षही देखा है. इस लिये हे मेरे व्यसनी प्यारे मित्रो, इन का त्याग कर श्री मति कॉन्फरन्स को कृतार्थ करे और कोन्फरन्स रुपी कल्प वृक्षको तन मन धनसें सिंचे. यह उन्नति म्ल वृक्ष है. और आगामी (भविष्य) मे कइ तरहके अकथनिय लाभ (फायदा) मीलेगा और पूर्व वत पुनः आनन्द मङ्गल वर्तेगाः इति शुभं.
(१२मा सोनी शतनात.)
विद्या-मस्यास.
- (सेम.--शा. पोपटाक्ष श्रीमानहास ४२i2ी.)
અનુસંધાન પૃષ્ઠ. ૨૧૧ આધુનીક સમયમાં બરમા લોકોમાં સ્ત્રી કેળવણું પણ પુરતી રીતે આપવામાં આવે છે. પરંતુ પશ્વિમાન્ય લોકોના સંસર્ગોમાં આવ્યા નહોતા તે વખતે ફકત છોકરાઓને જ વિદ્યા અભ્યાસ કરવાને ધર્મગુરૂઓ પાસે મોકલવામાં આવતા હતા અને ત્યાં તેઓને ધામક તેમજ વ્યવહારિક જ્ઞાન આપવામાં આવતું હતું અને તેથી જ બરમાં લેકોમાં ફકત સાધુવર્ગમાંથી વિદ્વાન નીકળી આવતા હતા. છોકરીઓને માટે કઈ પણું તેવું