Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1911 Book 07
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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है. उन अनाथ और निरअपराध पशुओं पर शस्त्रका चलाना और उनका मरण जन्य असह्य दुःखका देना कौनसी बहादुरीका काम है. अलबता प्राचीन समय के आर्य राजा लोग सिंहकी शिकार किया करते थे उसका वर्णन करना अन आवश्यक समजकर न किया तथापि जेसे सिंह शस्त्र के रहित है उसी तरह ये भी होकर करते थे-वर्तमान समयमें जो राजाआदि लोग सिंहका शिकार करते है वे भी अनेक छलवल कर तथा अपनी रक्षाका पूरा प्रबंध कर छिपकर शिकार करते हैं. विना शस्त्रके तो सिंहका शिकार करना दूर रहा किन्तु समक्ष में ललकार कर तलवार या गोली चलाने वाले भी आर्यवर्त भरमें से दो चार ही नरेश होंगे. ___धर्म शास्त्रोका सिद्धान्त है कि जोराजे महाराजे अनाथ पशुओ की हत्या करते हैं उनके राज्यमें प्रायः दुर्भिक्ष होता है, रोग होता है, तथा वे सन्तान रहित होते हैं इत्यादि अनेक कष्ट इस भवमेही उनको प्राप्त होते है- और पर भवमें नरकमें जाना पडता है. विचार करनेकी बात है कि--यदि हमको दुसरा कोई मारे तो हमारे जीवको कैसी तकलीफ मालूम होती है उसी प्रकार हम भी जब किसी प्राणीको मारेंतो उसकोभी वैसाही दुःख होता है इसलिये राजो "महाराजोंका यही मुख्य धर्म है कि अपने राज्यमें प्राणीयोंको मारना बंध करके .
और स्वयं भी उक्त व्यसनको छोड कर पुत्रवत् सद प्राणियोंकी तन मन धनसें रक्षा करें. इस संसारमें जो पुरुष इन बडे सात व्यसनोसे बचे हुए है उनको धन्य है, और मनुषजन्मका पानाभी उन्हीका सफल समजना चाहिये. .।
ओरभी बहुतसे हानिकारक छोटे २ व्यसन इन्हीं सात व्यसनोके अन्तर्गत है, जैसे १ कोडियोंसे जुएको न खेलना परन्तु अनेक प्रकारका फाटका (चांदीआदिका सट्टा) करना. २ नई चीजोंमे पुरानी और नकली चीजोंका बेचना, कम तोलना दगाबाजी करना. ठगाई करना (यह सब चोरीही है). ३ अनेक प्रकारका नशा करना. ४ घरका असबाव चाहे वि कही जावे परन्तु माल मगाकर नित्य मिठाई खाये बिना न रहना, ५ रात्रि भोजन किये बिना चेन न पडता, ६ इधर उधरकी चुगली करना, ७ सत्य न बोलना आदि अनेक तरहके व्यसन है जिनके फन्देमें पडकर उससे पिन्ड छुडाना कठिन हो जाता है. जैसा