Book Title: Jain Shwetambar Conference Herald 1911 Book 07
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 383
________________ श्री जैन श्वेताम्बर कोन्फरन्स हेरल्ड. HTRA ॥ ॐ नम: सिद्धेभ्यः॥ काऽप्यन्यो महिमास्त्यहो भगवतः संघस्य यस्य स्फुरत् कायोत्सर्गबलेन शासनसुरी सीमंधरस्वामिनम् । नीत्वा तत्कृतदोषशुद्धिमुदितां यक्षार्यिकां चानयत्, किं चैत्तन्ननु तत्प्रभावविभवस्तीर्थकरत्वं भवेत् ॥ અહો! સમર્થ એવા સંઘને કેઈ નવીનજ મહિમા દેખાય છે. કારણ કે તેના કાર્યોત્સર્ગના બળવડે રાસનદેવી યક્ષા સાધ્વીને શ્રી સીમંધર સ્વામી પાસે લઈ જઈ ત્યાં શ્રી સીમંધર સ્વામીએ તેની (સાધ્વીની) કરેલી દેષ શુદ્ધિથી જ હર્ષ પામેલી યક્ષા સાધ્વીને તે (શાસન દેવી) પાછી લઈ આવી, માટે ખરેખર એ સંઘના આવા પ્રભાવના વિભવવડે તીર્થંકરપણું થાય છે. પુસ્તક ૭] વીર સંવત ૨૪૩૮ ડીસેમ્બર ૧૯૧૧ [ અંક ૧૨ - - - - - - - हेरल्ड ग्राहक महाशयोसें विनंति. (लेखक काकावारा चंपालालजी चोखचंदज देवलीआ) प्रिय बन्धुओ श्रीमति कॉन्फरन्स देवि धर्मोन्नति, जात्युन्नति, देशोन्नतिका महान् मंडल परोपकारी सज्जन पुरुषोने अकथनिय परीश्रमकर स्थापित किया है. और विचारकर देखनेसे ज्ञात होता है की कॉन्फरन्स एक उन्नतिका कल्प वृक्ष है. इसलिये इस वृक्षकों तन मन धन रूपि जलसें सींचकर प्रफुलित करना धनीक धर्म एवम विद्वानोका मुख्य कर्तव्य है, और हेरल्ड मासीक को रसमय लेखो सें तरकी देना विद्वानो का परम धर्म है, और कॉन्फरन्सका हेरल्ड ( दूत ) खेपिया ( हलकारा ) काशीद कहो. मतलब सबका एक है. यह हेरल्ड विविध प्रकारकी खबरें व अज्ञान ( मूर्ख ) तिमर ( अन्धकार ) को नाश करने वाला

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