Book Title: Jain Shasan 2001 2002 Book 14 Ank 01 to 18
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
View full book text ________________
ચારણનો ધર્મ
श्रीजन शासन (मानवता था) विशेषां * १ १४*
१५/१६/१७/१८ *ता. १८-१२-२१
भडे याराशना पनारे मेनुं पेट पडेगुं हतुं.सने | हीवाने वणती १ पणे पूछयु : लागो छो तो पेट भरवा पैसा तो मे १ ने ? यारो धागो यार ! परा पहेलवहेला परापरमारभां पा घशो घियार हरी भयो: थारे तर भूऽयो लागे छ ? नभती वजते पाघडी आहशाहना भुस्लिभ-सत्ताओ पलायेली हती. मेथी संते से यामां भूऽवानी होय, आभ अगलम 'सत्तानु शरा स्वीधारीने पा पेट नो जाडो भराववानी न होय ! जाहशाहना थरार्भा भरवानी र अहा रवा यारो हिही तर समर्पित अनती पाघडी प्रतिष्ठा पाभे, च्या प्रया 5. हिहीनां सिंहासन पर भर्नु राज्य अगलमा लरावायेली पाघडी प्रतिष्ठा गुभावे तपतुंहतुं, से मध्यराशाहनी GEारता यारी भाटे मूल सुधारी लेवानी मे त सापर्व घाशीघशी सांभणी हती, मेथी मेनुं पार हरवा आपवाभां आवे छे. यारो मे हि' हिहीना हरजारभां पछ6भो.
सौने सेभ हतुं , यारा तरत १ सूत पेट उरावे वेठ ! हिलहीना हरभारभां छ । सुधारेलीलेशे. पाश यारा तो ओभने सेभ १ स5 6 रहेवाथी याले सेभ न हतुं. से गर्नु रह्यो भने साशनभ - नभ्रतानो आदर्श वित तो प्रताप हेवा राशाओ- प हतुं. मेथी यारा | मेरो उह्यु: भने तो आ पापी पेटे नभवानी इरम भाटे तो माउजरना पगयाव्या सिवायजीने ठोछ । पाडी छे, मेथी मे इरण मा पाघडी पर पाप आरो-ओधारोप नहतो. परंतु गमे तेभ तोय लाही हेवानी न होय ! हुं भारी गरले नभी रह्योश प्रतापना पऽजां सेवनारो आ यारा हतो, पा नभता नभताय आ पाघडीनी प्रतिज्ञा व नभवानो भ जोभन निर्णय लछलीधा माघष सेना | भोजभाय, से तो भारे यूँ प रडुं ने? थित्तमा मे5 मेवो यभठारो यभही गयो ।, अधा आश्वर्थयन्ति नपरे याराने निहाण साशनभ न भता ठेवी होय मेनो आर्श तो भारे रह्या सने वधु आश्वर्थ-यमित अनेला छान द्वार 6भो उरवो ? रह्यो. नभ्या सिवाय तो छूटठो थाय यारानुं आ ज्थन सांलणी रह्या. आ ऽथन- हाई सेभ १ नथी, पाहा नभता नभताय 'साशनभ | गागवा सौ उत्सु जन्या. मेथी हीवाने सौना नभता' नो आर्श हुँ जो हरी गुं, तोय भारा प्रतिनिधि जनीने पूछयु: भाथा मने पाघडी भाटे से धांधाधुगशाय.
वय्येनी आ लेट रेजा उणी शठाती नथी. भाटे थितमा सेठ यभठारानी पेभ यभठी गयेला स्पष्टता उरवा विनंति. तेभप आपनो परियय मा विद्यारथी थारानो यहेरो यमठी उठ्यो. सो प्रस्तुत हरवानी परा विनंति ! पोतानी लावि सुरक्षा होऽभां भूठी छने, भाथा | थारा हवे गांश्यो काय सेभ न हतो. मेरो Gधरथी भेवडी - पाधडी उतारी हीधी मने मेने | १ छूपाच्या विना गर्वलेर छ : मेवाऽने जगलमा रावी छने से मरना यशभां भातृभूमि तरीठे मोजावता भारी छाती गण गण नभ्यो .
हुली पाय छे, तो राणा प्रतापना सेवा तरीडेनी समरने आ यारशमां अपज गजनी ओणारा मापता हुं अनेरो गर्व अनुभवू छु. वियित्रता हेनाछ. मेने विचार आट्यो सललला सभारा महाराणा भाटे सत्यारे नुं भावि पराभ राषवीसो पाताजी पाघडी भारा यरामा समर्पित लयुं होय, मेवी पीछेहठ रवाना हिवसो आव्या उरे छे, त्यारे मा वणी ठेवो भारास छ है, पेसा | छे अने तनो हुँ थारश ए. मेथी आकविठानी रीते पाघडीगलमा लरादेछ? आ पातनुं सने थिताले भने हिहीना आ रमारमा जडा थवानी आश्चर्य अनुभवता सध्रनु भन उणीपछने मेड इरप पाडी छे. आEशाह सरनी GEारता
Loading... Page Navigation 1 ... 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372