Book Title: Jain Shasan 2001 2002 Book 14 Ank 01 to 18
Author(s): Premchand Meghji Gudhka, Hemendrakumar Mansukhlal Shah, Sureshchandra Kirchand Sheth, Panachand Pada
Publisher: Mahavir Shasan Prkashan Mandir
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ચારણનો ધર્મ
श्रीनन शासन (मानवता था)विशेषis *वर्ष १४*
१५/१६/१७/१८ *. १८-१२-२००१
पऽधारमा पवांभहीं पऽधा रही हती, मेथी यासतो रह्यो. पाश विसो पता परिस्थिति वधु हेजता छने हशाह अप्सरे साभो वाम विष्ट अनवा भांडी. मेथी हि'राने मेवो वाणवानुं भांडीवाण्यु. पारा छूपी रीते सेभयो सेवी | वियार आव्यो डे, हवे हुं प्रताप भाटे भोप नहि, हार्यवाही श३ हरी हीधी , हार्यवाही | पाया ओष ३५ अनी रह्यो छु. त्या से यारो न राणाप्रतापने पंगलभां रजऽवानी इरष पाऽया .. छूटडे भनोभन से सहप्रवास छोडी छने पोतानी विना न रहे ! भेवाऽ मने थितोऽ राधा विहो | रीते पोतानो राह पसंह ठरवानो नि यि लीधो. अनी काय, अटले तो अऽधो - पंगता काय, राणा प्रताप परनी भींस वधी रही हती. आQ गति सहसरे भांऽयुं हतुं. धीमे धीमे भेवाऽ वधती वधती से लींस मेटली अधी लयंडर अनी भाटे परिस्थिति १ मेवी सर , मेवानी गछ ठे, सेट टंठ भांऽ भांऽ पेट माहीत भावि सुरक्षा भाटेय मेठवार तो वन वगाभां टंना लोपन भाटेय राया प्रताप यारे सांसा छूपावा- पगलुं भर्या सिवायनो सीने छोछ पऽवा भांड्या, त्यारे रामा उपरथी भतिथी रस्तो १ राा सभक्ष न रह्यो.
लावित अनीने से थितोडी - यार श आंसुलरी आ रीते मेडातनी पीछेहठ हरीने पछी वधु विघायल ने राया-प्रतापथी छूटो। ऽयो.से पणे आउभ5 अनवाना निर्णय साथे सेठ हि' रागा नेनी आजभांथी सांसुधार वही नी उणी. रागाने प्रताप भेवाऽना वनवगाभां छूपा गया. परंतु विहाय आपवानी छरछा नहोती. याराने विद्याय आ पछी तो ठेरठेर रीते पर प्रतिहार थवा थवानुं भन नहतुं. पाश संगो १ वा सर्भया भांऽयो, मेथी आशाह साजरने लाग्युं हे पोते हता है, भनने भनावी लछने छूटा पऽया. सिवाय गशित भांडवाभां गोधुं जा गया हता. भ ठे छूटठो १ नहतो. प्रगटपा राना - प्रताप विहोश मेवाऽभां तो राणा प्रतापथी छूटा पडेला या सप मेछ ठेरठेर प्रताप वो प्रताप प्रठाशी उठ्यो हतो, प्रश्न अगर पेवू भों हाडीने उपस्थित थयो , मेथी हाथवेंत पातुं थितोऽ हिवसे हिवसे वधु ने हवे साठविद्यानुं शुं? आप सुधी तो प्रतधनी वधु टूर पतुं पावा लाग्युं. हताश अनी ने छत्रछायामां मधी वाते लीला लहेरहती. पाटामा
परवा मजरे पा में हि' भेवाऽने छत्रछाया छूटी पता १ हवे तो । गले प्रगतुं मेणववानी भनोभन भांडवाण उरी हीधी भने वियारीने लरवु पडे सेभ हतु. थोडा वसो भने भोलाभां संतोष अनुभववा भांऽयो. आ संतोषानुं भहिनामओ सुधी तो थितोऽना से यार से मांऽभांड भूति पो आगलरी हती. पा से आग मध्यरे गुष्परान यताव्यु. पा पछी पयारे से ने मेवी
ते १ पेटावी हती, मेथी सेनो ताप वेठवो योस जातरी थछ गछठे, हवे पेटनो जाडो मरवा अनिवार्य अनी रहे मेवो हतो.
आ सानभ-भसीनभाव्या विना नहित याले, पराभना लाविपऽधभ धरावती पीछेहठ । त्यारे से हि' मेरो आसपास नष्पर घूभावी , रवाभां पराशापाता राणा प्रतापे यारे पोताना भसीनी नभ्रता पयां, नभ वास शोली नवगानो राह स्वीछार्यो. भारे संगत गाशातो | Gठे, मेQ ज्युं राश्य छे? आवा राज्य सने आवा बीड थितोडी-थारा पाया मेमना पगले पगलु राषयी तरी पयारे भेवाऽ अने राआ प्रताप
ठावीने वनवगाना से प्रवासभा सानो सिवाय जी ठोप नपरे न यऽता थारो सेठ सहभागी ! सह प्रवासी जन्यो हतो. श३मातनां भीठी भूॐवारा अनुभवी. आ भूवा भीठी होवा सोडा विसो सुधी तो मेनो मे सहध्रवाह अराजर छतां ओनो लताच्या विना थालेसेभ न हतुं.
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