Book Title: Jain_Satyaprakash 1942 09
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org [५८० श्री सत्य प्राश [१७ माथा पाठ पाठान्तर माथा पाठ पाठान्तर ४४ ससिसूर सणिमर ७१ रविरिक्खा रविरिक्खं ४५ दुन्निय तह दुन्नि वि तहा ७१ इक्कग्गलो एकगलो ४५ वजिजा वजेजा ७२ तिरियं अथवा तिरियं ४६ रेवईओ रेवई य ४९ पुस्सं जिट्ठा ७३ सिररिखं सिरिरिक्खं. ५० अद्धपहरो अद्धपहरो य ७४ असलेस अस्सेस ५० --होरा. य होराओ ७६ -दोस त्ति –दोसु त्ति ५१ विवजणिज्जो य विवजणिज्जार ८० कहवि कहिंव ५२ तइयमद्ध तइम अद्भ ८३ चउदसे चउद्दसे ५४ दृसिअं इय दूसियमिय ८४ चउवीसमे चउवीसमे य. પ૬ તથા ૫૭મી ગાથા તાડપત્રીય પ્રતિમાં નથી. ८४ सीहस्स. सिंहस्स ५८ ठिओ उ ठिओ य ८५ हुँति होइ। ५९ रिक्खपिट्ठओ रिक्खाउ पिट्ठओं ८८ रविबुह रवीबुह ६० पुरो पुरओ ८८ मेसाईआ उ मेसाईयाण ६१ उड्ढाओ उड्ढाओ ९१ मेसाईआ मेसाइया ६१ सलागाण. सिलाए, ९१ नवंसाओ नवं नियया ६१ कत्तिया कित्तिया ९१ तुलाइया तुलाइया ६१ सेसाणि सेसाई ९२ सीहमाईसु सिंहमाइसु ६२ गणयवरो य गणयवरो ९२ धनुहाईसु धणुहाईसु ६३ जइ एगसलागाए एवं एगसिलागाए ९३ जाव बार जाव बारसो होज ९४ तीसंसं तीसंस ६३ हुजा होजा ९५ तजुअ तज्जूभ ६४ चउसु य चउसु ९८ –विसुद्धि- -सुद्धि६५ चउवीसमे अ चउवीसहमे १०१ अट्टमं अट्टमयं ६६ गुरुसणिणो गुरुससिणो १०२ ते जे ६७ पंचम तइयं - १०३ दो पंच पंच ६८ अस्सिणीइ तइमंमि अस्सिणीउ तइयमि १०३ रवि सुहओ रवी य सुहो १८ भी 10 ता७५त्रीय प्रतिभा नथी. | १०४ पंच पंचम For Private And Personal Use Only

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