Book Title: Jain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 173
________________ 167 30. 27. मग्गोमग्गोलोएभणंति, सव्वेमग्गणारहिया। - सम्बोधप्रकरण, 1/4 पूर्वार्ध परमप्प मग्गणा जत्थ तम्मग्गोमुक्ख मग्गुति॥ - वही, 1/4 उत्तरार्ध जत्थय विसय-कसायच्चागोमग्गोहविजणोअण्णो। - वही, 1/5 पूर्वार्ध सेयम्बरोय आसम्बरोयबुद्धोयअहवअण्णोवा। समभावभाविअप्पालहइ मुक्खं नसंदेहो। - वही, 1/3 नामाइचउप्पभेओभणिओ। - वही, 1/5 (व्याख्या लेखककीअपनी है।) 32. तक्काइजोय करणाखोरंपयउंघयंजहा हुजा।- वही, 1/7 33. भावगयंतं मग्गोतस्स विसुद्धीइहेउणोभणिया। - वही, 1/11 पूर्वार्द्ध 34. तम्मियपढमेसुद्देसब्बाणि तयणुसाराणि। - वही, 1/10 वही, 1/19-104 वही, 1/108 वही, 2/10, 13,32, 33,34. 38. वही, 2/34-36, 42, 46,49-50, 2/52, 56-74,88-92 वही, 2/20 जह असुइ ठाणंपडियाचंपकमालानकीरतेसीसे। पासत्थाइठाणेवट्टमाणाइह अपुजा॥- वही, 2/22 . जइचरिउंनोसक्कोसुद्धंजइलिंग महवपूयट्ठी। तोगिहिलिंग गिण्हेनोलिंगी पूयणारिहओ।।- वही, 1/275 एयारिसाणदुस्सीलयाणसाहुपिसायाणमत्तिपूव्वं । जेवंदणनमंसाइकुव्वंतिनमहापावा? - वही, 1/114 43. सुहसीलाओसच्छंदचारिणोवेरिणोसिवपहस्स। आणाभट्टाओबहुजणाओमाभणहसंवृत्ति॥ देवाइ दव्वभक्खणतप्परा तह उमग्गपक्खकरा। साहुजाणाणपओसंकारिणं माभणंह संघ॥ जहम्मअनीई आणायार सेविणोधम्मनीइंपडिकूला।

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