Book Title: Jain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 218
________________ 212 की सभा में हेमचंद्र नेसर्वधर्मसमभाव के विषय में जोविचार प्रस्तुत किए थे, वेपं. बेचरदासजी के शब्दों में निम्नलिखित हैं - 'हेमचंद्र कहते हैं कि प्रजा में यदि व्यापक देश-प्रेम और शूरवीरता हो किंतु यदि धार्मिक उदारता न होतोदेश की जनता खतरेमें ही होगी, यह निश्चित ही समझना चाहिए। धार्मिक उदारता के अभाव में प्रेम संकुचित होजाता है और शूरवीरता एक उन्मत्तता का रूप लेलेती है। ऐसेउन्मत्त लोग खून की नदियों को बहाने में भी नहीं चूकते और देश उजाड़ होजाता है । सोमनाथ के पवित्र देवालय का नष्ट होना इसका ज्वलन्त प्रमाण है। दक्षिण में धर्म के नाम पर जोसंघर्ष हुआ उनमें हजारों लोगों की जानेगईं। यह हवा गुजरात की ओर बहने लगी है, किंतु हमें विचारना चाहिए कि यदि गुजरात में इस धर्मान्धता का प्रवेश होगया, तोहमारी जनता और राज्य कोविनष्ट होनेमें कोई समय नहीं लगेगा। आगेवेपुनः कहते हैं कि जिस प्रकार गुजरात के महाराज्य के विभिन्न देश अपनी विभिन्न भाषाओं, वेशभूषाओं और व्यवसायों कोकरतेहुए सभी महाराजा सिद्धराज की आज्ञा के वशीभूत होकर कार्य करते हैं, उसी प्रकार चाहेहमारेधार्मिक क्रियाकलाप भिन्न हों, फिर भी उनमें विवेक - दृष्टि रखकर सभी कोएक परमात्मा की आज्ञा के अनुकूल रहना चाहिए। इसी में देश और प्रजा का कल्याण है। यदि हम सहिष्णुवृत्ति सेन रहकर, धर्म के नाम पर यह विवाद करेंगेकि यह धर्म झूठा है और यह धर्म सच्चा है, यह धर्म नया है यह धर्म पुराना है, तोहम सबका ही नाश होगा। आज हम जिस धर्म का आचरण कर रहे हैं, वह कोई शुद्ध धर्म न होकर शुद्ध धर्म को प्राप्त करने के लिए योग्यताभेद के आधार पर बनाए गए भिन्न-भिन्न साम्प्रदायिक बंधारण मात्र हैं। हमें यह ध्यान रहेकि शस्त्रों के आधार पर लड़ा गया युद्ध तोकभी समाप्त होजाता है, परंतु शास्त्रों के आधार पर होनेवाले संघर्ष कभी समाप्त नहीं होते, अतः धर्म के नाम पर अहिंसा आदि पांच व्रतों का पालन हो, संतों का समागम हो, ब्राह्मण, श्रमण और माता-पिता की सेवा हो, यदि जीवन में हम इतना ही पा सकें तोहमारी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।' हेमचंद्र की चर्चा में धार्मिक उदारता के स्वरूप और उनके परिणामों का जोमहत्त्वपूर्ण उल्लेख है वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि कभी हेमचंद्र के समय में रहा होगा।

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