Book Title: Jain Sahityakash Ke Aalokit Nakshatra Prachin Jainacharya
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 219
________________ 213 हेमचंद्र और गुजरात की सदाचार क्रांति हेमचंद्र सिद्धराज और कुमारपाल को अपने प्रभाव में लेकर गुजरात में जोसदाचार क्रांति की, वह उनके जीवन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है और जिससे आज तक भी गुजरात का जनजीवन प्रभावित है। हेमचंद्र ने अपने प्रभाव का उपयोग जनसाधारण कोअहिंसा और सदाचार की ओर प्रेरित करनेके लिए किया। कुमारपाल कोप्रभावित कर उन्होंने इस बात का विशेष प्रयत्न किया कि जनसाधारण में से हिंसक वृत्ति और कुसंस्कार समाप्त हों। उन्होंनेशिकार और पशु बलि के निषेध के साथ-साथ मद्यपान निषेध, द्यूतक्रीड़ा - निषेध के आदेश भी राजा सेपारित कराए। आचार्य नेन केवल इस सम्बंध में राज्यादेश निकलवाए, अपितु जन-जन कोराज्यादेशों के पालन हेतु प्रेरित भी किया और सम्पूर्ण गुजरात और उसके सीमावर्ती प्रदेश में एक विशेष वातावरण निर्मित कर दिया। उस समय के गुजरात की स्थिति का कुछ चित्रण हमें हेमचंद्र के महावीरचरित में मिलता है। उसमें कहा गया है कि 'राजा के हिंसा और शिकारनिषेध का प्रभाव यहां तक हुआ कि असंस्कारी कुलों में जन्म लेनेवाले व्यक्तियों ने भी खटमल और जूं जैसेसूक्ष्म जीवों की हिंसा बंद कर दी। शिकार बंद होजानेसेजीव-जंतु जंगलों में उसी निर्भयता सेघूमनेलगे, जैसेगौशाला में गायें। राज्य में मदिरापान इस प्रकार बंद होगया कि कुम्भारों की मद्यभाण्ड बनाना भी बंद करना पड़ा। मद्यपान के कारण जोलोग अत्यंत दरिद्र होगए थे, वेइसका त्याग कर फिर सेधनी होगए। सम्पूर्ण राज्य में द्यूतक्रीड़ा का नामोनिशान ही समाप्त होगया' 10 इस प्रकार हेमचंद्र ने अपने प्रभाव का उपयोग कर गुजरात में व्यसनमुक्त संस्कारी जीवन की जोक्रांति की थी, उसके तत्त्व आज तक गुजरात के जनजीवन में किसी सीमा तक सुरक्षित हैं। वस्तुतः यह हेमचंद्र के व्यक्तित्व की महानता ही थी जिसके परिणामस्वरूप एक सम्पूर्ण राज्य में संस्कार क्रांति होसकी। स्त्रियों और विधवाओं के संरक्षक हेमचंद्र + यद्यपि हेमचंद्र नेअपने‘योगशास्त्र' में पूर्ववर्ती जैनाचार्यों के समान ही ब्रह्मचर्य के साधक को अपनी साधना में स्थिर रखनेके लिए नारी - निंदा की है। वेकहतेहैं कि स्त्रियों में स्वभाव सेही चंचलता, निर्दयता और कुशीलता के दोष होते हैं। एक बार समुद्र की थाह पाई जा सकती है, किंतु स्वभाव सेकुटिल, दुश्चरित्र कामिनियों के स्वभाव की थाह पाना कठिन है। 11 किंतु इसके आधार पर यह मान

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