Book Title: Jain Pustak Parichay
Author(s): Sarabhai Manilal Nawab
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 12
________________ ૧૨ . द्वयाश्रय महाकाव्य - बे भाग (कर्ता कलिकाल सर्वज्ञ परिशिष्टपर्व "" वासुपूज्य चरित्र - पद्यबंध ( कर्ता वर्धमानसूरि ) वंदारुवृत्ति ७-८ (सं. श्री सागरानंदसूरीश्वरजी) १-४ १-४ १-४ ३-८ ज्योतिषकरंडक सटीक युक्तिप्रबोध १-१२ "घातुरत्नाकर - चार भाग (सं. विजयलावण्यसूरीश्वरजी) १३-० पंचम भाग 810 षष्ठ भाग २-८ सप्तम भाग "" प्रकरणसमुच्चय- (४९ प्रकरणनो संग्रह ) प्रत्याख्यान–सारस्वतविभ्रम विशेषणवती वगेरे 39 99 27 "" जैन मुक्तावलि - हैम धातुमाळा नवपद लघुवृत्ति " बृहद्वृत्ति हेमचंद्राचार्य) १८-० २ - ० "" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 39 "7 "" "" "" ५--४ . १-० ४-० ४-० काव्यानुशासन—सटीक अलंकार पन्थ - कर्ता हेमचंद्राचार्य २-४ जीवसमास --- सटीक १-८ कर्ता भोजदेव ५-० सरस्वतीकंठाभरण— सटीक जैनस्तोत्रसमुच्चयप्राचीन जैनस्तोत्र संदोह भाग १ - (सं. चतुरविजयजी) १-८ ५-० १-८ www.umaragyanbhandar.com

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