Book Title: Jain Pustak Parichay
Author(s): Sarabhai Manilal Nawab
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 16
________________ १५. खंडनखंडखाद्य — कर्ता उ. यशोविजयजी महाराज प्रमेयकमलमार्तंड- ( प्रभाचंद्र ) न्यायकुमुद चंद्रोदय सं. महेन्द्रकुमार अकलंकग्रंथत्रयी सं. महेन्द्रकुमार जैनेतर--न्यायग्रंथो सर्वदर्शनसंग्रह - कर्ता माधवाचार्य सं. वासुदेव अभ्यंकरशास्त्री १० -० २-८ सिद्धांतबिंदुपातंजल योगदर्शनन्यायकोश ६-० १५-० ३-० ६-४ वात्स्यायन भाष्यम् – न्यायदर्शन - गौतममुनि प्रशस्तपाद भाष्य - वैशेषिक - कणादमुनि सिद्धांतमुक्तावलि- दिनकरी रामरुद्रीसहित ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य-भामती कल्पतरुपरिमलव्याख्या ३-० १०-० २-८ ०-१४ ब्रह्मसूत्र शांकरभाष्य - मूलमात्र सटिप्पण पातंजल योगसूत्र - नागोजी भट्टनी वृत्तिसहित अद्वैतसिद्धि - (मधुसूदनीया) सांख्यकारिका-इश्वरकृष्णविरचितमाठरवृत्ति १०-० १-८ सांख्यतत्त्वकौमुदी - ( वाचस्पति मिश्रकृत टीकासहित) २-८ तत्त्वसंग्रह - भाग (आ० शांतरक्षित टीकाकार कमलशील) २४-० २-८ न्याय बिंदु - (दिग्नागकृत) न्यायसिद्धांत मुक्तावली - ( प्रभोपेता) ४-८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 97 १०-० १०-० ८-० ५-० 79 www.umaragyanbhandar.com

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