Book Title: Jain Pustak Parichay
Author(s): Sarabhai Manilal Nawab
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 17
________________ ३-८ ० संस्कृत-प्राकृत-गूजराती-पालि कोशो तथा व्याकरणो पातंजल महाभाष्यकोश-श्रीधरशास्त्री भांडारकर सिरीझ १५-० पाइअसद्दमहण्णवो-पं. हरगोविंददास, चार भाग कमीशन जतां ३५-० अर्धमागधीकोश हिंदी, गुजराती तथा इंग्रेजी अर्थ साथे चार भाग मु. रत्नचंद्रजी ३०-० , , भाग ५ मो। १०-० जैनागमशब्दकोश-श्री रत्नचंद्रजी महाराज सार्थजोडणी कोश—(गूजरात विद्यापीठ ) अमिधान राजेन्द्र कोश-भा. १ थी सात २००-० शब्दरत्न महोदधि-भाग १-२ २०-० अमरकोश-गूजराती अर्थ साथे ३-० अभिधानचिंतामणि सटीक-बे भाग अभिधानप्पदीपिका–पालिकोश मुनि जिनविजय ५-० शब्दार्णवकोश संस्कृत१-२--(पं. गिरजाशंकर ) जेनी अंदर लगभग ५० हजार शब्दो छे १५-० पातंजलव्याकरणमहाभाष्य-बे भाग सिद्धांतकौमुदी-तत्त्वबोधिनी टीका वैयाकरण सिद्धान्त कौमुदी १-२ बालमनोरमा व्याख्या । सहित घटाडेली किं. ८-० ० ० ५-० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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