Book Title: Jain Muni Ki Aahar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
View full book text
________________
166... जैन मुनि की आहार संहिता का समीक्षात्मक अध्ययन
161. अनगार धर्मामृत, 5 / 25
162. (क) पिण्डनियुक्ति, गा. 460 की टीका, पृ. 133 (ख) जीतकल्पभाष्य, 1392
163. (क) पिण्डनिर्युक्ति, 462 (ख) पिण्डविशुद्धिप्रकरण, 67
164. वही, 463
165. वही, 464
166. वही, 473
167. पिण्डविशुद्धि प्रकरण, 59 168. पिण्डनिर्युक्ति, 481
169. पिण्डविशुद्धि प्रकरण, 71
170. निशीथ भाष्य, 1025-49 की चूर्णि, पृ. 108-113
171. fqustafa, 490
172. (क) वही, 492-493
(ख) मूलाचार, 456
173. (क) पिण्डविशुद्धिप्रकरण, 72 (ख) पिण्डनिर्युक्ति, 486
174. (क) पिण्डविशुद्धिप्रकरण, 72 (ख) पिण्डनिर्युक्ति, 488
175. ससाधना स्त्रीरूपदेवताधिष्ठिता वाऽक्षरपद्धतिर्विद्या ।
(क) पिण्डनियुक्ति टीका, पृ. 141
साधनेन जपहोमाद्युपचारेण युक्ता समन्विता अक्षरपद्धतिः साधनयुक्ता विद्या। (ख) पिण्डविशुद्धिप्रकरण टीका, पृ. 66
176. विज्जा साधितसिद्धा, तिस्से आसापदाणकरणेहिं । विज्जादोसो दु उप्पादो ||
तस्से माहप्पेण य,
177. पिण्डनिर्युक्ति, 497 178. मंतो पुण पढियसिद्धो तु।
मूलाचार, 457
(क) जीतकल्प भाष्य, 1438 (ख) पिण्डनिर्युक्ति टीका, पृ. 141

Page Navigation
1 ... 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328