Book Title: Jain Muni Ki Aahar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 298
________________ 234... जैन मुनि की आहार संहिता का समीक्षात्मक अध्ययन पात्र आज थोड़ा खाली कैसे है ?' ग्वाले ने सारी बात यथार्थ रूप से बता दी। उसकी पत्नी को भी साधु के ऊपर क्रोध आ गया। उसके बच्चों ने कम दूध को देखकर रोना प्रारंभ कर दिया। अपने पूरे कुटुम्ब को आकुल-व्याकुल देखकर साधु के प्रति वह ग्वाला अत्यन्त कुपित हो गया। वह साधु को मारने के लिए घर से चला। उसने किसी स्थान पर भिक्षाटन करते हुए साधु को दूर से देखा। वह लकड़ी लेकर साधु को मारने के लिए उनके पीछे दौड़ा। साधु पीछे कुपित ग्वाले को देखकर समझ गए कि निश्चय ही जिनदास ने बल पूर्वक दूध छीनकर मुझे दिया है इसलिए यह मुझे मारने के लिए आ रहा है। साधु ने प्रसन्नता पूर्वक उसके सम्मुख खड़े रहना उचित समझा और ग्वाले से कहा- 'हे गोपालक! तुम्हारे स्वामी ने आग्रह पूर्वक दूध मुझे भिक्षा में दे दिया अब तुम अपने दूध को वापस ले लो।' साधु के इस प्रकार कहने से उसका क्रोध ठण्डा हो गया और वह शान्त होकर बोला- 'हे साधु! मैं तुम्हें मारने के लिए आया था लेकिन इस समय तुम्हारे वचनामृत के सिंचन से मेरा सारा क्रोध शान्त हो गया। तुम इस दूध को अपने पास रखो। आज मैं तुमको छोड़ता हूँ लेकिन भविष्य में कभी आच्छेद्य आहार को ग्रहण नहीं करना' ऐसा कहकर ग्वाला अपने घर लौट गया और साधु भी अपने उपाश्रय में पहुँच गया । 10 10. अनिसृष्ट दोष : लड्डुक दृष्टांत रत्नपुर नगर में मणिभद्र नामक युवक अपने 32 मित्रों के साथ रहता था। एक बार उन सभी ने किसी तप के उद्यापन के लिए साधारण मोदक बनवाए और समूह रूप से उद्यापनिका में गए। वहाँ उन्होंने एक व्यक्ति को मोदक की रक्षा के लिए छोड़ दिया। शेष 31 साथी नदी में स्नान करने हेतु चले गए। इसी बीच कोई लोलुप साधु वहाँ भिक्षार्थ उपस्थित हुआ। उसने मोदकों को देखा। लोलुपता के कारण उस साधु ने धर्मलाभ देकर उस पुरुष से मोदकों की याचना की। उस व्यक्ति ने उत्तर दिया- 'ये मोदक केवल मेरे अधीन नहीं है, अन्य 31 साथियों की भी इसमें सहभागिता है अतः मैं अकेला इन्हें कैसे दे सकता हूँ? ऐसा कहने पर साधु बोला- 'वे कहाँ गए हैं?' वह बोला- 'वे सब नदी में स्नान करने हेतु गए हैं।' ऐसा सुनकर साधु ने पुन: कहा- 'क्या दूसरों के मोदकों को देकर तुम दान पुण्य नहीं कर सकते ? तुम मूढ़ हो जो मेरे द्वारा मांगने पर भी दूसरों के लड्डुओं का दान देकर पुण्य नहीं कमा रहे हो? यदि मुझे 32 मोदक

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