Book Title: Jain Muni Ki Aahar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith

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Page 328
________________ (सज्जन वीणा से निकले सूर * आगमों के प्रकाश में भिक्षाचर्या का स्वरूप? वर्तमान में निर्दोष आहार की प्राप्ति किस प्रकार संभव है ? *Pizza, Burger के युग में सात्विक भोजन का नियम कितना प्रासंगिक है? * श्रमण के लिए गुप्त आहार का संविधान क्यों? •भिक्षा सम्बन्धी नियम-उपनियमों की एक जानकारी? साधु महाभोज आदि में भिक्षार्थ क्यों न जाए? * मुनि भिक्षाचर्या हेतु किस विधि पूर्वक गमन करें? * आज के शिक्षित एवं नौकरी प्रधान स्वावलम्बी समाज में भिक्षाचर्या का औचित्य कितना? - भिक्षाचर्या सम्बन्धी 42 दोष कैसे लगते हैं? •शारीरिक स्वस्थता में भिक्षाचर्या कैसे सहयोगी है ? * इतिहास के आलोक में भिक्षाचर्या की अवधारणा? MHILDRE UUU CO VUUUUUUUUU UUUUU SAJJANMANI GRANTHMALA Website : www.jainsajjanmani.com, E-mail : vidhiprabha@gmail.com ISBN 978-81-910801-6-2 (VI)

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